मन की सुने और मिरिक जरूर आएं
अलका ‘सोनी’
वसंत आ चुका है। हर तरफ मौसम खुशनुमा हो गया है। ऐसे में मन कहता है कहीं घूम आएं। अब तक कभी गर्मी तो कभी कड़कड़ाती ठंड की वजह से घरों में कैद हमारा मन सारे झमेलों और कोलाहल से दूर किसी रमणीय स्थल की सैर पर निकलने का मूड बनाने लगता है। जहां सुकून के कुछ पल व्यतीत किया जा सके।
वैसे तो हमारे देश में बहुत सारे रमणीय और दर्शनीय स्थल हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल की बात ही कुछ और है। पश्चिम बंगाल प्राकृतिक खूबसूरती के कारण पर्यटन के क्षेत्र में अपना अलग स्थान रखता है। बंगाल में घूमने के लिए कई सारी जगहें हैं। इस कारण देश भर से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं। यहां विदेशी पर्यटकों का भी आना- जाना लगा रहता है। प्राकृतिक रूप से धनी बंगाल में कई प्रसिद्ध छोटे-बड़े पर्यटन स्थल हैं। उनमें से एक है- मिरिक। जो कि दार्जिलिंग के निकट का एक शांत और सुरम्य गांव है। समुद्र तट से 5000 फीट की ऊंचाई पर बसा मिरिक गांव अपने संतरों के बागीचों, पहाड़ियों और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है। इसे ‘मीर योक’ के रूप में भी उच्चारित किया जाता है। जिसका अर्थ लेप्चा शब्दों में ‘आग से जली हुई जगह’ होता है। यह दार्जिलिंग से 49 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पंहुचने के लिए 2 घंटे और 30 मिनट तक की गयी यात्रा में मिलने वाले सुंदर दृश्य आंखों को शीतलता प्रदान करते हैं।
मन को लुभाता है मिरिक
मिरिक हरे-भरे चाय बागानों, संतरों के बागीचे, इलायची के बागीचे और ऊंचे तो कभी गहरे जापानी देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है। जो किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए एक आकर्षक स्थल हो सकता है। मिरिक की ताजगी और प्राकृतिक वातावरण अद्भुत शांति प्रदान करते हैं।
मिरिक कैसे पहुंचे
मिरिक पहुंचने का सबसे सुविधाजनक तरीका सड़क मार्ग है। आसपास के सभी प्रमुख शहरों से कई बसें और टैक्सियां नियमित रूप से चलती हैं। उत्तर बंगाल पर्यटन के दार्जिलिंग मिरिक टूर पैकेज के साथ एक फोन कॉल द्वारा आसानी से कार किराये पर ली जा सकती है। फिर भी उपलब्ध परिवहन विकल्पों पर एक नज़र डाल सकते हैं :-
सड़क मार्ग से
सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग और कुर्सियांग मिरिक के पास के प्रमुख शहर हैं। ये सभी शहर भारत के अन्य स्थानों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। इसलिए दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, कुर्सियांग या बागडोगरा से मिरिक पहुंचने के लिए बस ले सकते हैं या टैक्सी किराये पर ले सकते हैं। दार्जिलिंग से मिरिक की दूरी 61 किमी है जबकि सिलीगुड़ी से मिरिक की दूरी 46 किमी है।
रेल
एनजेपी मिरिक के पास प्रमुख रेलवे स्टेशन है। एनजेपी पहुंचने के बाद, आप अपने इच्छित स्थान की यात्रा के लिए टैक्सी किराये पर ले सकते हैं। एनजेपी से मिरिक के बीच की दूरी 54 किमी है।
हवाई यात्रा
मिरिक से निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा 45 किमी की दूरी पर है। बागडोगरा में, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
कहां ठहरें!
एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के नाते जब ठहरने की बात होती है तो पर्यटकों को निराश नहीं होना पड़ता है। मिरिक में ठहरने के लिए बहुत सारे होटल और होमस्टे उपलब्ध हैं। शहर के अधिकांश होटल सुमेंदु झील के दक्षिणी भाग में स्थित है। इन होटलों और होम स्टे में ठहरने का फायदा यह है कि आपको होटल की खिड़की या बालकनी से यहां की शांत झील का सुंदर दृश्य दिख सकता है। सभी नवीनतम सुविधाओं से सुसज्जित इन होम स्टे में रहने से मेहमानों को मिरिक में छुट्टियां बिताने का एक शानदार अनुभव मिलता है।
यहां का मौसम अधिकतर सुखद रहता है। सर्दियों के मौसम में भी तापमान तेजी से बिल्कुल नहीं गिरता। आकाश भी साफ रहता है और कंचनजंगा के खूबसूरत दृश्य सहज ही नजर आते हैं। फरवरी से लेकर मई तक और फिर सितंबर से दिसंबर के महीने मिरिक में पर्यटन के लिए चरम मौसम होते हैं जब यहां हजारों पर्यटक घूमने आते हैं।
शानदार जगहे हैं घूमने लायक
सुमेंदु झील
मिरिक का एक प्रसिद्ध स्थल सुमेंदु झील है। सुमेंदु झील को स्थानीय लोग मिरिक झील भी कहते हैं। यह मिरिक के बीचों-बीच आधा किलोमीटर की लंबाई में फैली है। शांत जल से भरे इस झील की पृष्ठभूमि में कंचनजंगा की रेंज है और ओक तथा चेस्टनट के जंगलों से बनी है। झील एक तरफ से बगीचे से घिरी हुई है तो दूसरी तरफ देवदार के पेड़ों से। जो रेनबो ब्रिज नामक एक आर्च फुट ब्रिज से जुड़ा हुआ है। अगर पर्यटक झील का पूरा चक्कर लगाना नहीं भी चाहे और उनके लिए यहां पर टट्टू की सवारी, नौकायन, मछली खाना और पिकनिक जैसी चीजें मौजूद हैं। साथ ही झील के चारों ओर चक्कर लगाने के लिए चप्पू वाली नाव भी मिल जाती है। साफ दिन में सुमेंदु झील के पानी में कंचनजंगा की छवि प्रतिबिंबित होती है जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती है।
मिरिक सनराइज़ व्यू प्वाइंट
यदि आप सूर्योदय के दृश्यों के साथ अपने दिन की शुरुआत करना चाहते हैं तो मिरिक सनराइज़ व्यू प्वाइंट अपने आप में एक बेहतरीन जगह है। जैसा कि नाम से ही समझ में आ रहा है कि चाय और कॉफी के बागानों के साथ सूरज की किरणें, सूर्योदय के सबसे खूबसूरत दृश्य प्रदान करता है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इन बगीचों के बीच में एक बहुत ही सुंदर चमक दिख रही है इन हरे-भरे बगीचों के बीच सूर्योदय को देखना अपने आप एक जादू अनुभव लगता है।
पशुपति मार्केट
मिरिक से लगभग 15 किलोमीटर दूर पशुपति मार्केट शहर के सबसे आकर्षक जगहों में से एक है। भारत-नेपाली सीमा पर स्थित यह बाज़ार ज्यादातर समय स्थानीय लोगों, खरीदारों के साथ-साथ पर्यटकों से भी भरा रहता है। पूरे बाज़ार का भ्रमण करना मजेदार लगता है। यहां पर्यटकों को विभिन्न प्रकार की दुकानें मिलती हैं। चूंकि यह एक क्रॉस कंट्री मार्केट है इसलिए यहां पर कड़ी जांच और प्रतिबंध मिलते हैं। लेकिन पर्यटक चाहें तो वे कपड़े, इत्र, कलाकृतियां व गहने और बहुत कुछ खरीद सकते हैं।
बोकर मठ
प्राचीन चीनी कला वास्तु-कला का बेहतरीन उदाहरण बोकर मठ, मिरिक में देखने को मिलता है। जो कि कागयूड सम्प्रदाय से सम्बंधित है। यह मिरिक झील से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर है। बोकर नगेदोन चोखोर लिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह बौद्ध धार्मिक स्थल 1986 में स्थापित किया गया था। इस मठ में कम से कम 500 बौद्ध भिक्षुओं के घर हैं। जो भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को सीखते हैं। उनका अभ्यास करते हैं। मठ के पास, मठ के संस्थापक ने कालचक्र का अभ्यास करने के लिए एक रिट्रीट सेंटर भी स्थापित किया था।
देवी स्थान
यह मिरिक शहर में पाए जाने वाले सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। जिसमें शक्तिशाली हिंदू भगवान और देवी की कई मूर्तियां हैं। मंदिर में भगवान शिव, भगवान हनुमान, देवी काली और देवी सिंगला की मूर्तियां हैं। इसके चारों ओर सुंदर परिदृश्य हैं। यह मंदिर यहां के मिरिक झील के बिल्कुल करीब मौजूद हैं और इस जगह के पास कुछ पर्यटक स्थल भी हैं।
मिरिक चाय बागान
दार्जिलिंग जि़ले के सभी स्थान अपने चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध हैं। मिरिक भी अपनी उच्च गुणवत्ता वाली चाय के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां की घाटियां चाय के बागानों से भरी हुई हैं और आप आसपास के स्टालों से ताजी चाय खरीदकर ले जा सकते हैं।
मिरिक घूमने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। यहां अपराध कम होते हैं इसलिए आप किसी भी समय घूम सकते हैं। सभी चित्र लेखक