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जीवनशैली में सुधार से घातक रोग पर अंकुश संभव

04:00 AM Feb 04, 2025 IST
जीवनशैली में सुधार से घातक रोग पर अंकुश संभव
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दुनिया में तेजी से फैल रहे कैंसर के आंकड़े चिंताजनक हैं। भारत के लिए यह और भी बड़ी चुनौती है। कई अध्ययन व रिपोर्टें इस बारे चेताती भी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, भविष्य में विभिन्न किस्म के कैंसर का सामना जहां उपचार के आधुनिक, हाईटेक साधन अपनाकर करना होगा वहीं इसकी रोकथाम के लिए जीवनशैली में बदलावों की जरूरत होगी।

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योगेश कुमार गोयल

दुनियाभर में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी ग्लोबोकॉन के मुताबिक जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के चलते विश्वभर में 2040 तक कैंसर के मामले प्रतिवर्ष 2.84 करोड़ तक पहुंच सकते हैं, जो 2020 के मुकाबले 47 फीसद ज्यादा होंगे। वर्ष 2020 में दुनियाभर में अनुमानित तौर पर कैंसर के 1.93 करोड़ नए मामले आए थे और लगभग एक करोड़ लोगों की मौत कैंसर से हुई थी। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के अनुसार कैंसर मरीजों की संख्या वैश्वीकरण और बढ़ती अर्थव्यवस्था से जुड़े जोखिम कारकों में वृद्धि से बढ़ सकती है। लोगों को कैंसर के संभावित कारणों के प्रति जागरूक करने, प्राथमिक स्तर पर कैंसर की पहचान करने और शीघ्र निदान तथा रोकथाम के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनियाभर में प्रतिवर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।
बीएमजे ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की स्टडी के अनुसार पिछले 30 वर्षों में दुनियाभर में 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कैंसर के नए मामलों में 79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस दौरान श्वासनली और प्रोस्टेट कैंसर के मामले सर्वाधिक रिपोर्ट किए गए, जो चिंता बढ़ाने वाले हैं। 1990 के बाद से श्वासनली और प्रोस्टेट कैंसर सबसे तेजी से बढ़ा। 2019 की शुरुआत में स्तन कैंसर के मामले सर्वाधिक रिपोर्ट किए जा रहे थे, जिसका जोखिम बना हुआ है। स्तन, श्वासनली, फेफड़े, आंत और पेट कैंसर के कारण अभी भी सर्वाधिक मौतें रिपोर्ट की जा रही हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 में कैंसर के नए शुरुआती मामलों में 31 प्रतिशत और उससे जुड़ी मौतों में 21 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 के आंकड़ों के आधार पर रिसर्चर्स के मुताबिक- 2019 में 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर के नए मामलों की संख्या 1.82 मिलियन थी, जो 1990 के आंकड़े से 79 प्रतिशत अधिक थी।
भारत में कैंसर के निरन्तर बढ़ रहे मामले स्वास्थ्य ढांचेे के लिए गंभीर चुनौती हैं। प्री-मैच्योर मौत का सबसे बड़ा कारण माने जाने वाले कैंसर के मामलों का ग्राफ देश में लगातार ऊपर की ओर जा रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में प्रतिवर्ष एक करोड़ से भी ज्यादा कैंसर के नए मामले सामने आते हैं और दुनिया के 15 फीसदी कैंसर मरीज भारत में हैं। कई मामलों में तो मरीज अपना इलाज तक नहीं करा पाते। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आगामी पांच वर्षों में कैंसर मामलों की संख्या 12 फीसदी बढ़ जाएगी। यहां कैंसर के 40 फीसदी से भी ज्यादा मरीज फेफड़े, स्तन, अन्नप्रणाली , मुंह, पेट, लीवर और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से पीड़ित हैं, जिनमें फेफड़ों के कैंसर से 10.6 फीसद, स्तन कैंसर से 10.5, अन्नप्रणाली कैंसर से 5.8, मुंह के कैंसर से 5.7, पेट के कैंसर से 5.2, लीवर कैंसर से 4.6 और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से 4.3 फीसदी लोग पीड़ित हैं।
राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं में कैंसर के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। आईसीएमआर तथा नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फॉरमेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) के अनुसार भारत में कैंसर के कुल केसोंं का करीब 27 फीसदी तम्बाकू जनित होने की संभावना है। इसके अलावा स्तन कैंसर के 2.4 लाख जबकि फेफड़ों के कैंसर के 1.1 लाख तथा मुंह के कैंसर के 90 हजार मामले सामने आ सकते हैं । रिपोर्टों के अनुसार पुरुषों में कैंसर के 50 फीसदी मामले तम्बाकू के कारण होते हैं।
अमेरिका के जाने-माने कैंसर विशेषज्ञ डा. जेम अब्राहम चेतावनी दे चुके हैं कि भारत को कैंसर जैसी क्रॉनिक बीमारियों की सुनामी का सामना करना पड़ सकता है। उनके मुताबिक वैश्वीकरण, बढ़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती आबादी और बदलती जीवनशैली के कारण ये मामले बहुत तेजी से बढ़ेंगे। हालांकि कैंसर की रोकथाम और उपचार के लिए टीके, एआई, डेटा डिजिटल तकनीक का विस्तार, लिक्विड बायोप्सी से निदान, जीन एडिटिंग टेक्नॉलोजी का विकास एवं अगली पीढ़ी के इम्युनोथेरैपी तथा सीएआर टी सेल थैरेपी का इस्तेमाल कैंसर के उपचार को नया रूप देंगे । वहीं डिजिटल तकनीक, आईटी तथा टेली-हैल्थ से मरीजों एवं विशेषज्ञों के बीच खाई कम होगी। चुनौती होगी कि इन प्रौद्योगिकियों को लाखों लोगों के लिए कैसे सस्ता और सुलभ बनायें। डा. अब्राहम के मुताबिक, कैंसर मरीजों के बढ़ते आंकड़ों को रोकने का एकमात्र विकल्प टीकाकरण है। ऐसे सभी टीकों पर परीक्षण जारी हैं।
महामारी विज्ञान के अध्ययनों के अनुसार कैंसर के 70-90 फीसद मामले पर्यावरण से जुड़े हैं, जिनमें कैंसर का कारण बनने वाले पर्यावरणीय जोखिमों में जीवनशैली कारक सबसे महत्वपूर्ण हैं, जिनमें सुधार करके कैंसर की सुनामी रोकना संभव है।

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