बाल कहानियों में जीवन की सीख
गोविंद शर्मा
प्रस्तुत बाल-साहित्य की पुस्तक में ग्यारह बाल कथाएं हैं। राजकुमार निजात की ये बाल-कथाएं बच्चों में साहित्य के पठन की सीख भरती हैं। हर कहानी में कोई न कोई उपयोगी सीख जरूर है। स्कूल छूटने पर निक्कू को पता चलता है कि स्कूल जाना नहीं, उससे दूर रहना कष्टप्रद होता है। इस कहानी और ‘मिलन सिंह की तौबा’ कहानी से बच्चों को नुकसानदेह शरारत करने या झूठ बोलने से होने वाले नुकसान से परिचित करवाया गया है। फूलों की दुनिया में ‘रोहन की फूल यात्रा’ सुरभित करने वाली है। ‘मोगली की बड़ी जीत’ यही कहती है कि खुद की रक्षा करने के लिए खुद को ही सचेत और सक्रिय होना होगा।
‘जंगल में बाढ़’, ‘विदिशा का वृक्षारोपण’, ‘फुदकू खरगोश का नया साल’ और कुछ अन्य कहानियां जंगल प्रेम, जंगली जानवरों से लगाव, प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम की कहानियां हैं। पर्यावरण को शुद्ध रखना तो आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
कहानी ‘नई छड़ी’ ‘पूसी बिल्ली के नखरे’ आदि कहानी ऐसी हैं जो हमें परिवार में एक-दूसरे के प्रति अपनापन प्रकट करने की सीख देती है। हर बच्चे में यह संस्कार होना चाहिए। राजकुमार निजात की कहानी आज की बाल-पीढ़ी को संस्कारित करती है। परंतु जैसा कि किसी-किसी कहानी में हुआ भी है, सीख की मात्रा अधिक हो जाती है तो कहानी की रोचकता दब जाती है।
पुस्तक : विदिशा का वृक्षारोपण लेखक : राजकुमार निजात प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 64 मूल्य : रु. 200.