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कांग्रेस के डीएनए में झूठ, राहुल गांधी की लिखी स्िक्रप्ट पढ़ते हैं हुड्डा, सैलजा, सुरजेवाला : नायब

08:35 AM Sep 01, 2024 IST
कांग्रेस के डीएनए में झूठ  राहुल गांधी की लिखी स्िक्रप्ट पढ़ते हैं हुड्डा  सैलजा  सुरजेवाला   नायब
चंडीगढ़ में शनिवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए। 

चंडीगढ़, 31 अगस्त (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शनिवार को कांग्रेस के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान पर पलटवार करते हुए हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस द्वारा किए गए वादों और ग्राउंड रियल्टी को लेकर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर हरियाणा के नेताओं को कठघरे में खड़ा किया। इन राज्यों में इस समय कांग्रेस की सरकारें संचालित हैं। सैनी ने कांग्रेस और अपनी सरकार के 10-10 वर्षों के कार्यकाल में हुए कार्यों का हिसाब-किताब पेश किया। सेक्टर-3 स्थित भाजपा विधायक दल कार्यालय में यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेसशासित राज्यों में एक से दो साल के बाद भी घोषणाओं पर काम नहीं हुआ। झूठे वादे और घोषणाएं हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी सैलजा कर रहे हैं। सैनी ने कहा कि कांग्रेस के डीएनए में ही झूठ है। राहुल गांधी दिल्ली में बैठकर जो स्िक्रप्ट लिखते हैं, उसे हरियाणा में हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला बिना जांचे-परखे पढ़ने लगते हैं। उन्होंने कहा - मैंने कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से 10 से 13 सवाल पूछे थे। लेकिन हरियाणा में हिसाब मांगो अभियान चलाने वाले हुड्डा ने इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। यदि मेरे सवाल ज्यादा और तीखे थे तो मैं इनकी संख्या घटाकर पांच करता हूं।
हुड्डा को कम से कम चार से पांच सवालों का जवाब जरूर देना चाहिए। कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में किए वादों को पूरा क्यों नहीं किया, इसका जवाब हुड्डा को देना होगा। नायब सैनी ने जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर भी सवाल दागा है। उन्होंने कहा - राहुल गांधी व हुड्डा बताएं कि क्या वे जम्मू-कश्मीर को फिर से अशांति और आतंकवाद की तरफ ले जाना चाहते हैं। नेशनल कांफ्रेंस ने घोषणा पत्र में वादा किया है कि वह आतंकवाद और पत्थरबाजी में शामिल लोगों के परिजनों को नौकरियां देगी। क्या नेशनल काॅन्फ्रेंस के इस वादे के साथ राहुल गांधी भी खड़े हैं।

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51 दिन किया काम, 126 फैसले लिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने 12 मार्च को शपथ ली थी। तब से चार अक्तूबर तक 182 दिन बनते हैं। इन दिनों में 128 दिन आचार संहिता के निकल गए हैं। उन्हें 51 दिन काम करने का मौका मिला है। इन 51 दिनों के अंदर हमने हरियाणा के हित में नॉन-स्टॉप 126 निर्णय लिए हैं। इनका लाभ प्रदेश के लोगों को मिला है। हमने जो भी निर्णय किए, उन निर्णयों को कैबिनेट में लाकर अध्यादेश लाए और प्रदेश के लोगों को गति से लाभ देने के लिए काम किया है। सीएम नायब सैनी के अनुसार कांग्रेस ने 10 साल में पर्ची व खर्ची के द्वारा 80 हजार सरकारी नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी हैं, जबकि भाजपा ने बिना पर्ची व बिना खर्ची के मैरिट व योग्यता के अधार पर 1.45 लाख नौकरियां दी हैं।
तंवर को पहुंचाई थी चोट, सैलजा को भी करेंगे बाहर : मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए इन लोगों ने अपने ही प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को चोट पहुंचाई थी। तंवर कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। सैनी ने कहा कि अब ये लोग कुमारी सैलजा के पीछे पड़े हैं। सैलजा को भी कांग्रेस से निकालने की तैयारी चल रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने साल 2014 व 2019 के अपने दोनों चुनाव घोषणा पत्रों को सौ प्रतिशत लागू किया है। वहीं कांग्रेस ने अपना कोई वादा पूरा नहीं किया। कांग्रेस के नेताओं ने पूरे 10 साल प्राॅपर्टी डीलिंग का काम किया है। भाजपा ने अपने कार्यकाल में किसानों की एक इंच भी जमीन एक्वायर नहीं की। विकास परियोजनाओं के लिए किसानों से आॅनलाइन पोर्टल पर बाजार भाव के हिसाब से उनकी स्वयं की मर्जी से जमीन खरीदी गई।

इन फैसलों पर कांग्रेस को घेरा

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भाजपा के मौजूदा और कांग्रेस के दस वर्षों के राज की तुलना करते हुए कहा कि कांग्रेस के समय बुढ़ापा पेंशन 500 रुपये थी। हमने इस बढ़ाकर तीन हजार रुपये किया है। कांग्रेस के समय केवल गेहूं और धान की खरीद एमएसपी पर होती थी। अब हम 24 फसलों पर एमएसपी दे रहे हैं। कांग्रेस राज में किसानों को दो से तीन रुपये तक मुआवजे के चेक दिए जाते थे। कुल 1158 करोड़ का मुआवजा कांग्रेस ने दस वर्षों में दिया। भाजपा ने 10 वर्षों में किसानों को 13 हजार 276 करोड़ का मुआवजा ऑनलाइन दिया है। कांग्रेस राज में चार से छह घंटे बिजली गांवों में आती थी। अब 5800 गांवों में 24 घंटे आपूर्ति हो रही है।

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सत्र बुलाएंगे न विधानसभा भंग करेंगे...

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा का सत्र बुलाने या मौजूदा विधानसभा को भंग करने से जुड़े सवाल पर दो-टूक कहा कि 12 सितंबर से पहले विधानसभा सत्र बुलाने की कोई बाध्यता नहीं है। उनका कहना है कि सरकार कानूनी जानकारों से बातचीत कर रही है। इसी से पता लगा है कि सत्र बुलाने की जरूरत नहीं है। ऐसे में विधानसभा भंग करने की भी जरूरत नहीं है। सैनी ने दावा कि भाजपा अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर तीसरी बार राज्य में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। वहीं दूसरी ओर, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता एवं विधायी मामलों के जानकार हेमंत कुमार का कहना है कि संवैधानिक संकट टालने के लिए सत्र बुलाना जरूरी है। सत्र नहीं बुलाने की स्थिति में कैबिनेट में विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव पास करना होगा। यहां बता दें कि सरकार की ओर से कैबिनेट मीटिंग बुलाने के लिए चुनाव आयोग से परमिशन भी मांगी गई थी।

हाईकमान पर छोड़ा फैसला, सीट को लेकर स्पष्ट नहीं की स्थिति

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किस हलके से चुनाव लड़ेंगे, इस पर अब बड़ा सस्पेंस पैदा हो गया है। हालांकि जिस तरह की तैयारियां उनके करीबी कर रहे हैं, उससे तो यही संकेत मिल रहे हैं कि सैनी लाडवा हलके से किस्मत आजमाएंगे। आमतौर पर वे नारायणगढ़ से चुनाव लड़ते रहे हैं। 2014 में भी पहली बार नारायणगढ़ से ही विधायक बने थे। वर्तमान में वे करनाल हलके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अपने निर्वाचन क्षेत्र का फैसला पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति पर छोड़ दिया है। उनका कहना है कि नेतृत्व उन्हें, जिस भी सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहेगा, वे वहीं से मैदान में उतरेंगे। विगत दिवस भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने कहा था कि मुख्यमंत्री लाडवा से चुनाव लड़ेंगे। इस बात पर असमंजस की स्थिति उस समय पैदा हुई जब शुक्रवार को ही करनाल में रोड-शो के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि करनाल से भी वे ही चुनाव लड़ेंगे। शनिवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री से इससे जुड़े सवाल पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। ना तो उन्होंने यह ही स्पष्ट किया कि वे लाडवा से चुनाव लड़ेंगे या करनाल से। ना ही यह बताया कि दो सीटों से लड़ेंगे। गेंद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में सौंपते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव समिति जहां से उनका नाम फाइनल करेगी, वे वहीं से चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए तीन विधानसभा सीटें छोड़ी गई थी। इन तीन विधानसभा सीटों में लाडवा, करनाल और नारायणगढ़ विधानसभा सीटें हैं।

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