पत्र
बहस के निशाने
लोकसभा में संविधान और आरक्षण पर हुई बहस ने सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान व्यवस्था को खतरे में न लाने की बात की। बहस में तानाशाही, आरक्षण और महापुरुषों नेहरू-सावरकर पर टिप्पणी भी की गई, जिससे विवाद पैदा हुआ। यह प्रवृत्ति राजनीति में गंभीर समस्या है। सभी को आरोप-प्रत्यारोप से बचकर एक-दूसरे के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हुए महापुरुषों की विरासत का सम्मान करना चाहिए।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.
अपूरणीय क्षति
उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर सुनकर विश्वास करना मुश्किल है कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी जिंदादिली और संगीत प्रतिभा ने उन्हें एक यादगार व्यक्तित्व बनाया। वे हमेशा सोच-समझकर बोलते थे और उनकी बातें दिलों को छू जाती थीं। एक महान संगीतकार और एक अच्छे इंसान के रूप में उनकी मुस्कान और आंखों की चमक उनकी विशेष पहचान थी। उनके निधन से संगीत जगत में बड़ी क्षति हुई है। उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए हमें उनकी संगीत शैली और उनके गुणों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
अनुचित अनुमति
चंडीगढ़ के बीचोंबीच संगीत कार्यक्रमों के आयोजन को अनुमति देकर सरकार आम जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। इसमें यातायात में बाधा, उस सेक्टर में रहने वाले लोग घर में रहने पर मजबूर और दुकानदारों के व्यापार पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। लाउडस्पीकरों के चलते लोगों और मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन शहर से बाहर करना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली