मेयर पद के उपचुनाव पर नगर निगम अम्बाला में फंसा कानूनी पेंच
जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 1 दिसंबर
अम्बाला नगर निगम में मेयर की रिक्त पड़ी कुर्सी के कारण बहुत से महत्वपूर्ण कामकाज प्रभावित होकर रह गए हैं। यहां बड़ी दिक्कत इसलिए भी है कि नगर निगम कानून में मेयर के रिक्त पद के लिए उपचुनाव करवाने का कहीं उल्लेख नहीं हैं।
हरियाणा में मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से सीधा आम जनता द्वारा होता है। ऐसे मेें मेयर की कुर्सी खाली होने से जहां नगर निगम क्षेत्र के लोगों को अपनी समस्याएं रखने के लिए जनप्रतिनिधि उपलब्ध नहीं हैं, वहीं नगर निगम के आर्थिक कामकाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण वित्त समिति के पदेन चेयरमैन होने के कारण भी मेयर का कुर्सी पर होना बहुत जरूरी माना जाता है।
यही नहीं नगर निगम हाउस की मासिक बैठक भी मेयर के निर्देश पर ही बुलाई जाती है।
भले ही यह बैठकें मेयर के कुर्सी पर विराजमान होते हुए भी नियमित नहीं बुलाई जाती। दरअसल गत 8 अक्तूबर 2024 को अम्बाला नगर निगम की तत्कालीन मेयर शक्ति रानी शर्मा पंचकूला जिले की कालका विधानसभा सीट से भाजपा विधायक निर्वाचित हुई।
भाजपा ने हाल ही में हुए विधानसबा चुनाव में उन्हें कालका क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी बनाया। शक्तिरानी कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप चौधरी को पराजित कर पहली बार कालका से विधायक बनीं। प्रावधानों के अनुसार किसी मेयर के विधायक या सांसद बनने के साथ ही मेयर की कुर्सी स्वयं रिक्त हो जाती है।
इसी बीच शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने शक्ति रानी शर्मा के शेष बचे करीब 1 वर्ष के कार्यकाल के लिए नया मेयर चुनने की प्रक्रिया का मामला उठाया।
राज्य निर्वाचन आयोग से मिले पत्र का हवाला देते हुए एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून 1994 की धारा 13 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली 1994 के नियम 68 में मेयर पद के उपचुनाव के संबंध में व्याप्त परस्पर विरोधी प्रावधान और उल्लेख होने पर आयोग ने प्रदेश सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण करने को लिखा है।
मौजूदा नगर निगम कानून में आयोग को मेयर पद को नोटिफिकेशन द्वारा रिक्त घोषित करने का कानूनी प्रावधान नहीं है इसलिए इस बारे में भी स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए।