वामपंथी, नागरिक संगठनों ने शिमला में निकाला सद्भावना मार्च
शिमला, 27 सितंबर(हप्र)
शिमला के उपनगर संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर उपजे विवाद पर सियासत लगातार जारी है। राजनीतिक दलों के विवाद में कूदने से इस मामले ने राजनीतिक रूप ले लिया है। प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ साथ विपक्षी भाजपा तथा वाम दलों के अलावा नागरिक संगठनों के सदस्य व एआईएमआईएम के शोएब जमाई तक इस मुद्दे में शामिल हो गए हैं। मामला भले ही अवैध अथवा वैध निर्माण का है, मगर सियासी रंग चढ़ने का मकसद हरियाणा व जम्मू कश्मीर के चुनाव हैं।
मस्जिद विवाद में दो दिनों तक संजौली में धरना प्रदर्शन के बाद शिमला शांत है। विवाद की वजह बनने वाले मारपीट में शामिल युवक कहां हैं, इसका राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को कोई आता पता नहीं है। मगर इसके बावजूद वाम दलों के कार्यकर्ताओं के साथ साथ नागरिक संगठनों ने शुक्रवार को शिमला में इस मुद्दे पर सद्भावना मार्च किया। मकसद शांति बनाए रखने का है। इस दौरान डीसी ऑफिस शिमला से लोअर बाजार व मॉल रोड होते हुए रैली रिज मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे पहुंची। यहां पर रैली में मौजूद नागरिक शांतिपूर्ण धरने पर बैठे व देश के सांप्रदायिक सौहार्द, धर्मनिरपेक्षता व संविधान की रक्षा की शपथ ली।
शांति मार्च में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर चेतन सिंह, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन, पूर्व आईएएस अजय शर्मा, प्रोफेसर घनश्याम चौहान, प्रोफेसर राजेंद्र चौहान, प्रोफेसर विजय कौशल, प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव भूषण, पूर्व विधायक राकेश सिंघा, पूर्व महापौर मनोज कुमार एवं संजय चौहान, पूर्व उप महापौर टिकेंद्र पंवार, माकपा सचिव ओंकार शाद, आप नेता चमन राकेश आजटा, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर संजय शर्मा, रोटरी क्लब सदस्य मनमोहन सिंह, निरंकारी सभा के कैप्टन एनपीएस भुल्लर, अंबेडकर सभा संयोजक प्रीतपाल सिंह मट्टू, सेवानिवृत प्राचार्य वीवीएस डोगरा, प्रोफेसर सत्या चौहान व अन्य शामिल हुए। शांति मार्च के को लेकर विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि कुछ सांप्रदायिक संगठनों द्वारा सुनियोजित तरीके से की जा रही सांप्रदायिक घटनाओं, एक समुदाय विशेष के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा का वातावरण बनाने के खिलाफ, अल्पसंख्यकों में भय का माहौल बनाने के खिलाफ तथा प्रदेश में भाईचारा, एकता, अमन चैन स्थापित करने के लिए शिमला में यह शांति मार्च किया गया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश हमेशा से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे अपने सामाजिक मानकों के लिए देश में जाना जाता रहा है।