सागर से सीख
06:33 AM May 03, 2024 IST
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एक बार गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर सागर किनारे टहलते हुए अपने विद्यार्थियों को मिसाल देते हुए समझा रहे थे कि सागर को देखने का अनुभव हरेक का अपना ही होता है। कोई सागर किनारे बह रही शीतल हवा का मुरीद हो जाता है। कोई वहां पर सीपियां और शंख एकत्र करता है। कोई रेत के घरौंदे बनाता है और लहरों को समर्पित कर देता है। कोई सागर में डुबकी लगाकर लहरों के साथ अठखेलियां करता है। सागर किसी पर दबाव नहीं बनाता कि ऐसा करो या वैसा करो। इसी तरह यह सारा जीवन है। एक पाठशाला की तरह। इसे देखो और जो चाहे बटोर लो।
प्रस्तुति : पूनम पांडे
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