मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

सीखें प्रभावशाली मैसेजिंग के तौर-तरीके भी

11:04 AM Sep 03, 2024 IST

मोबाइल, लैपटॉप के की पैड पर टेक्स्टिंग के लिए थिरकती उंगलियों का कमाल है कि देश में लोग हर मिनट में 9 लाख 71 हजार टेक्स्ट मैसेज करते हैं। लेकिन मैसेज प्रभावशाली होने के लिए जरूरी है कि प्राप्त करने वाले के लिए उसे पढ़ना आसान हो,सही वक्त पर मिले व सम्मानजनक भी महसूस हो। इसके लिए जरूरी है मैसेजिंग के तौर-तरीके यानी मैनर्स जानना।

Advertisement

किरण भास्कर

यूं तो संदेश भेजने, लिखने और पाने का इतिहास बहुत पुराना है। लेकिन मोबाइल फोन आने के पहले यह जीवन में कभी-कभार की घटना ही होती थी। मगर आज टेक्स्ट मैसेजिंग हमारी लाइफस्टाइल की धुरी है। भारतीय लोग ही हर एक दिन 140 अरब मैसेज, एक-दूसरे को भेजते और पाते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि हिंदुस्तानी हर एक मिनट में 9 लाख 71 हजार टेक्स्ट मैसेज करते हैं। यह एक तरह से टेक्स्ट मैसेजिंग की मूसलाधार बारिश का दौर है। इससे पता चलता है कि हमारे सामाजिक, भावनात्मक और कारोबारी संवाद का सारा जोर मैसेजिंग पर ही है।
जो बात हम आमने-सामने या फोन पर भी किसी से नहीं कह पाते, उसे भी बहुत आसानी से मैसेजिंग के जरिये कह देते हैं। इस तरह देखें तो मैसेजिंग वास्तव में संवाद की वह कला है जिसमें हम बिना किसी तरह के संकोच में आये सामने वाले से सब कुछ कह देते हैं और सब कुछ सुनने यानी पढ़ने के लिए भी तैयार रहते हैं। बावजूद इसके यह नहीं कहा जा सकता कि मैसेजिंग का कोई मैनर या तौर-तरीका नहीं होता। खास कर तब, जब वह हमारे आपसी संवाद का सबसे बड़ा आधार यही मैसेजिंग बन गई हो। इस स्थिति में मैसेजिंग के प्रति संवेदनशील होना और उसकी शिष्टता को जानना बहुत जरूरी है। तो आइये जानें कि हम कैसे सजग रहते हुए मैसेज के मैनर्स को बरकरार रख सकते हैं।
लंबे मैसेज लिखने से बचें
आपको भी जब कोई लंबे-लंबे मैसेज करता है तो भले पढ़ने के बाद आपको गुस्सा न आए और चाहे तो आनंद ही क्यों न आए। लेकिन पढ़ने के पहले एक बार दिल में जरूर कोफ़्त होती है और हम भेजने वाले के लिए बडबड़ाते हैं, ‘मैसेज है या कोई बड़ा ग्रंथ है।’ लब्बोलुआब यह कि जब भी किसी को मैसेज करें, लंबा मैसेज लिखने से बचें।

भेजने के पहले खुद भी पढ़ें
हम चाहे जितने सजग रहते हों, लेकिन आमतौर पर देखने में आता है कि जब हम मैसेज लिखते हैं तो जल्दबाजी में कई शब्द छूट जाते हैं और कई शब्द दोहराये जाते हैं। हालांकि यह एक सामान्य बात है। लेकिन यह भी सच है कि कई बार कुछ शब्दों का छूटना या कुछ शब्दों का दोहराया जाना, हमारे लिखे गये मैसेज में अर्थ का अनर्थ कर देता है। इसलिए किसी भी लिखे गये मैसेज को खुद भी एक बार पढ़ लेना जरूरी होता है।
टू द प्वाइंट रहें
भले किसी को मैसेज ही भेज रहे हों, लेकिन जबरदस्ती बातों को घुमाने का कोई मतलब नहीं है। बातों को बहुत इधर-उधर करने से कई बार मैसेजिंग का हमारा मकसद पूरा नहीं होता। हम अपने मैसेज के जरिये जो कुछ बताना या समझाना चाहते हैं, बजाय उसके हमारे मैसेज से कुछ और ही ध्वनि निकलने लगती है। इसलिए किसी मैसेज लिखते समय हमेशा टू द प्वाइंट रहें यानी विषय से दूर न जायें।
समय की मर्यादा समझें
बहुत सुबह-सुबह और लगभग आधी रात को मैसेज भेजना, जब तक कोई बहुत नजदीकी दोस्त न हो या कि घर-परिवार का न हो, तब तक बहुत सुबह या बहुत देर रात गये मैसेज भेजना इमोशनल अत्याचार ही है। समय की मर्यादा को समझें और सामान्य लोगों से सामान्य शिष्टाचार का बर्ताव करना न भूलें।
मैसेज को जटिल न बनाएं
कई बार यह होता है कि हम व्यक्तिगत रूप से कुछ बातों को शॉर्टकट में आसानी से समझ लेते हैं। मसलन आप अक्सर आई डोंट नो लिखने की जगह आईडीके लिख देते हैं। रोज के दोस्तों के बीच तो यह चल जाता है, लेकिन अगर किसी औपचारिक रिश्ते में या कारोबारी मैसेज कर रहे हों तो इस किस्म के संक्षेपाक्षर लिखने से बचें। मसलन ओके की जगह सिर्फ के, एज सून एज पोसिबल की जगह एएसएपी तथा एट द मोमेंट के लिए एटीएम लिखना कई बार कंफ्यूजन पैदा करता है। इस तरह देखें तो मैसेज लिखने की भी अपनी एक शिष्टता होती है और यह शिष्टता बरती ही जानी चाहिए।

- इ.रि.सें.

Advertisement

Advertisement