For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

लीक-लीक के खेल से लें सीख

08:33 AM Jul 04, 2024 IST
लीक लीक के खेल से लें सीख
Advertisement

शमीम शर्मा

कोई न कोई तो बहुत वीक है जो आए दिन पेपर लीक है। चाहे वह कोई ताकतवर सरकारी हाथ हो, चौकीदारों की साजिश हो या जनता-जनार्दन में से कोई प्रश्नपत्रों के उड़न-खटोले पर चढ़कर मालामाल होने की उड़ान भरने को आतुर होने वाला कोई ठग हो। कोई शक नहीं कि पेपर-लीकेज में बहुत बड़ी कोताही होती है। धांधली की चोट ने प्रशासन के खोट को उघाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पर कोसने मात्र से लीकेज बंद नहीं होगी। इस लीकेज का इलाज कानून की कड़ाई और शासन का वाटरप्रूफ सिस्टम ही हो सकता है।
जिन लोगों ने पेपर टपकाये वे तो आला दर्जे के गुनहगार हैं ही, पर वे भी कम नहीं हैं जिन्होंने अपनी पोटली पेपर खरीदने पर लगा दी। अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने के सपनों में कितनों ने अपने ही पैसों से अपना मुंह काला कर लिया। वे असंख्य लोग जो नहीं खरीद पाये वे ईमानदार ही होंगे, ऐसा नहीं है। इतना भर है कि उनका दांव नहीं लगा। अपने बच्चे के भविष्य के लिये आज हर अभिभावक खरीददार बनने को आतुर है। सारी राम कहानी में होनहार युवा लीकेज के अभिशाप से ग्रस्त हो गये या वे बेचारे ठगे से रह गये जो पेपर खरीदना तो दूर की बात है किताबें भी उधार लेकर पढ़ रहे थे। अब एक बार कमरतोड़ मेहनत से पेपर देने के बाद फिर वही पेपर देना किसी सजा से कम नहीं है।
निश्चित ही आज एक सूझवान पलम्बर की जरूरत है जो इस लीकेज को रोक सके। पैसे ने सबकी नाक में दम कर रखा है। गर्म मुट्ठियों के सामने मेरिट और मेहनत दम तोड़ रही है। प्रश्नपत्र बेचने वाले गैंग के साथ-साथ प्रश्नपत्र हल करने वालों के भी गिरोह बने हुये हैं। इन घोटालों के सामने सारे स्कैम छोटे सिद्ध हो रहे हैं। लीकेज चाहे कहीं से भी हुई हो, मेहनती विद्यार्थियों की रात-दिन की मेहनत पर पानी फिर रहा है। पेपर-लीकेज हाईटेक हो चुकी है तो जांच-पड़ताल भी इतनी सख्त हो रही है कि सारे नकलची-अकलचियों की नाक में दम करके दम लेगी। आज हर जन यही कह रहा है कि हे भगवान पेपर लीक वाले डाक्टरों से हमारी रक्षा करना।
000
एक बर की बात है अक ताऊ सुरजे नैं शौंक शौंक मैं व्रत राख लिया। राख तो लिया पर भूख के मारे जी घबरावै। वो अपने छोरे नत्थू तैं बोल्या- देखिये रै सूरज डूब ग्या के? नत्थू बोल्या अक ना बाब्बू ईब्बे तो लिकड़ रह्या सै। थोड़ी वार पाच्छै फेर बोल्या- रै देख कै आ डूब्या कै नहीं? नत्थू नैं बतलाई अक कोन्या डूब्या। ईब छोह मैं सुरजा बोल्या- न्यूं दीखै अक यो मन्नैं गैल लेकै ए डूब्बैगा।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×