प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन संभव, सीएलपी लीडर पर भी घमासान
चंडीगढ़, 11 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार मिली हार के बाद पार्टी नेतृत्व प्रदेश को लेकर काफी गंभीर हो गया है। इस बार राज्य में कांग्रेस के पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी के चांस थे, लेकिन पार्टी 37 सीटों पर सिमट गई। इन नतीजों के बाद राज्य में गुटबाजी को और हवा मिली है। एंटी-हुड्डा खेमे ने हुड्डा खेमे के खिलाफ मोर्चाबंदी कर ली है, और अब खुलकर आरोप लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान अब हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन के मूड में है। पिछले दिन नई दिल्ली में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हरियाणा की हार के बाद एक समीक्षा बैठक में नतीजों को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने यहां तक कह दिया कि नेताओं के अपने स्वार्थ और निजी हितों के सामने पार्टी बौनी साबित हुई। सूत्रों का कहना है कि हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया भी इन नतीजों के बाद नेतृत्व के रडार पर आ चुके हैं। वर्तमान में उदयभान कांग्रेस अध्यक्ष हैं। पार्टी अब उनकी जगह नए चेहरे को लेकर मंथन कर रही है। हालांकि, अचानक से कुछ होने की संभावना कम है, लेकिन बदलाव की अटकलें जोर-शोर से लगाई जा रही हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा सांसद कुमारी सैलजा को बदलकर चौ. उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। इस बार टिकट आवंटन में भी हुड्डा खेमे की एकतरफा चल रही थी। इसके बाद भी नतीजे न आने से नेतृत्व चिंतित है। वहीं, एंटी-हुड्डा खेमे के नेताओं ने पार्टी के सामने रिपोर्ट भेजनी शुरू कर दी हैं। सूत्रों का कहना है कि हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया को भी अब बदला जा सकता है। टिकट आवंटन के दौरान उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ चुके हैं। कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के अलावा पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी बाबरिया के रवैये पर सवालिया निशान पहले लगा चुके हैं। आने वाले दिनों में वे और भी मुखर होंगे।
नेता प्रतिपक्ष को लेकर संशय
हालांकि, अभी तक प्रदेश कांग्रेस की ओर से चुनावी नतीजों को लेकर कोई बैठक नहीं की गई है। नायब सरकार के गठन के एक-दो दिन बाद विधानसभा का सत्र भी बुलाया जाएगा। कांग्रेस द्वारा विधायक दल के नेता का चयन भी किया जाना है। सीएलपी पद को लेकर अब विवाद होगा। 2019 में 31 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस ने भूपेंद्र हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया था। इस बार किसी गैर-जाट चेहरे को विपक्ष का नेता बनाए जाने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
हार के कारणों का पता लगाएगी कमेटी
राहुल गांधी की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक में हार के कारणों का पता लगाने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया था। जल्द ही कमेटी का गठन होगा। इसके बाद कमेटी प्रदेश में चुनाव लड़ने वाले पार्टी के सभी उम्मीदवारों के साथ वन-टू-वन मीटिंग करेगी। उनसे यह जाना जाएगा कि हार के पीछे प्रमुख वजहें क्या रहीं। कमेटी की रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पास जाएगी।