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रैलियों में ज्यादा भीड़ तो नेताओं को मिलेगा ‘इनाम’

10:41 AM Jul 03, 2023 IST
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 जुलाई
हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा लोकसभा क्षेत्रवार रैलियों के अपने एजेंडे में सफल हो गई है। पार्टी 9 लोकसभा क्षेत्रों में रैलियां कर चुकी है। कुरुक्षेत्र की रैली इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि यहां से सांसद नायब सिंह सैनी बीमार हैं। यहां बाद में रैली होगी। अब भाजपा ने इन रैलियों में भीड़ जुटाने वाले नेताओं का परफार्मेंस कार्ड तैयार करने का निर्णय लिया है। इस कड़ी में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने 5 जुलाई को झज्जर में अहम बैठक बुलाई है।
बैठक में रैलियों की समीक्षा होगी। माना जा रहा है कि इन रैलियों में काम करने वाले सांसदों के अलावा संबंधित क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले विधायकों तथा 2019 में भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ चुके नेताओं और अन्य वरिष्ठ नेताओं का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। रैलियों में सबसे बढ़िया काम करने वाले नेताओं के नाम दिल्ली तक जाएंगे। ये रैलियां अगले लोकसभा चुनावों में टिकट आवंटन के समय भी नोटिस की जाएंगी।
भाजपा ने एक बार फिर राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। बताया गया है कि 9 रैलियों में भीड़ के लिहाज से सिरसा में हुई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पटौदी में हुई गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र की रैली टॉप पर रही। इस रैली के लिए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने पूरा जोर लगाया हुआ था। भीड़ जुटाने के मामले में राव इंद्रजीत सिंह अपने कई साथी सांसदों पर भारी पड़ते नजर आए। इंद्रजीत सिंह का दक्षिण हरियाणा में शुरू से ही प्रभाव रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे इंद्रजीत सिंह ने रैली के जरिये जिस तरह से अपनी बेटी आरती राव को आगे रखा, उससे यह भी स्पष्ट संकेत मिले कि अगले विधानसभा चुनाव में आरती राव का चुनावी रण में उतरना लगभग तय है। 2019 में भी राव इंद्रजीत सिंह ने आरती के लिए भाजपा टिकट की कोशिश की थी, लेकिन भाजपा नेतृत्व का एक परिवार में एक टिकट का फार्मूला इसके आड़े आ गया। बदले हुए राजनीतिक हालात में इस बार नेता पुत्रों को टिकट मिलने की भी अटकलें हैं। वहीं पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. चौ. देवीलाल के पुत्र तथा बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह का सिरसा रैली को कामयाब बनाने में अहम योगदान रहा। भाजपा की रैलियों में वे अकेले निर्दलीय विधायक थे, जिन्हें रैली में आमंत्रित भी किया गया और बोलने का मौका भी मिला। रणजीत सिंह का हिसार और सिरसा संसदीय क्षेत्र में अच्छा-खासा प्रभाव है। उनके प्रभाव को देखते हुए ही पार्टी ने उन्हें सिरसा की रैली में विशेष तवज्जो दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रैली के बाद करीब 40 मिनट तक उनके आवास पर रुके। माना जा रहा है कि रणजीत सिंह को अहमियत देने के पीछे भाजपा की सोची समझी रणनीति है। इस साल के आखिर में राजस्थान में विस चुनाव होने हैं, यहां जाट बहुल एरिया में चौ. देवीलाल का प्रभाव रहा है। ऐसे में बहुत संभव है कि इस इलाके में भाजपा चौ. रणजीत सिंह के प्रभाव का उपयोग करे।
सोनीपत में नहीं जुटी भीड़
अमित शाह की सिरसा रैली के बाद सोनीपत संसदीय क्षेत्र की रैली हुई। यहां से रमेश चंद्र कौशिक भाजपा सांसद हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा को शिकस्त दी थी। सोनीपत रैली में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुख्यातिथि थे। इस रैली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी शिरकत की थी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि सोनीपत रैली में जुटी भीड़ से पार्टी संतुष्ट नहीं है। भीड़ के लिहाज से सोनीपत की रैली दूसरे संसदीय क्षेत्रों से फीकी रहने की चर्चाएं हैं।
झज्जर बनेगी रणनीति
धनखड़ द्वारा 5 जुलाई को झज्जर में बुलाई बैठक में जहां 9 संसदीय क्षेत्रों में हुई रैलियों की समीक्षा होगी वहीं भविष्य की रणनीति भी तय होगी। इस रैली में तीनों प्रदेश महामंत्री – मोहन लाल बड़ौली, डॉ. पवन सैनी और एडवोकेट वेदपाल के अलावा सभी जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी और लोकसभा क्षेत्र की रैलियों के लिए नियुक्त किए प्रभारियों को आमंत्रित किया है। भाजपा ने मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर इन रैलियों का आयोजन किया। झज्जर की बैठक में प्रदेश में अभी तक हलकावार हो चुके पन्ना प्रमुख सम्मेलनों की भी समीक्षा होगी। इसी तरह से आने वाले दिनों में होने वाले पन्ना प्रमुख सम्मेलनों के कार्यक्रम तय किए जाएंगे।

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