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प्रदेश की सबसे बड़ी जिला बार में वकीलों के पास बैठने को जगह नहीं

08:46 AM Aug 22, 2024 IST
प्रदेश की सबसे बड़ी जिला बार में वकीलों के पास बैठने को जगह नहीं
गुरुग्राम में बुधवार को जिला अदालत परिसर में जिला बार एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत यादव और उनके साथी पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए। -हप्र

विवेक बंसल/हप्र
गुरुग्राम, 21 अगस्त
गुरुग्राम जिला बार हरियाणा की सबसे बड़ी बार बन गई है जिसमें 9300 से अधिक अधिवक्ता हैं लेकिन उनके पास बैठने को जगह नहीं है। चैंबर की मांग को लगातार पिछले 10 वर्ष से भाजपा सरकार अनदेखा कर रही है। अब अधिवक्ता नाराज हैं और आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं।
गुरुग्राम जिला बार एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत यादव ने आज एक पत्रकार सम्मेलन में इस बारे में खुलासा किया। उनके साथ पूर्व प्रधान कुलभूषण भारद्वाज, सत्यरायण राव, देवेंद्र यादव, दीपिका खन्ना, पूर्व प्रधान अजय चौधरी, वीर सिंह, पर्वत सिंह ठाकरान तथा अन्य पूर्व जिला प्रधान वरिष्ठ अधिवक्ता व कई और अधिवक्ता मौजूद थे। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पूरी बार इस मामले में एकमत है और अधिवक्ताओं के लिए जो चैंबर की मांग की जा रही है उसमें जनहित भी जुड़ा है। इस अदालत में साल में लगभग एक करोड़ लोग अपने केसों के सिलसिले में आते हैं लेकिन उन्हें बैठने व शौचालय आदि की कोई सुविधा नहीं है। अधिवक्ताओं ने कहा कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे अदालतों का बहिष्कार कर सकते हैं और जनता के साथ मिलकर इस चुनावी दौर में कोई राजनीतिक फैसला भी ले सकते हैं।
पूर्व प्रधान कुलभूषण भारद्वाज ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से उनकी कई मुलाकात हुई। जिले में भारतीय जनता पार्टी के दो विधायक सत्यप्रकाश जरावता और सुधीर सिंगला भी इस मामले में मुख्यमंत्री तक फाइल पहुंच कर चुके हैं लेकिन उनकी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में पड़ी हुई है।
उन्हें दो बार वैकल्पिक जगह तलाशने का अवसर मिला और सरकार को इस बारे में सूचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जहां भी सरकार अदालत परिसर बनाती है, वहां अधिवक्ताओं के लिए चैंबर भी बनते हैं। लगभग 10 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुग्राम में हरियाणा के पहले अदालत परिसर जस्टिस टावर का शिलान्यास किया था। तब भी यह बात उठी थी कि इसमें अधिवक्ताओं के लिए चैंबर का कोई स्थान नहीं रखा गया है। लेकिन उस समय चुनाव के कारण जल्दी-जल्दी यह कहकर मामला टाल दिया गया कि पुराने अदालत परिसर को तोड़कर उन्हें जगह दे दी जाएगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी की अगली सरकार ने इस पर कोई काम नहीं किया।

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