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‘लेटरल एंट्री’ नियुक्ति का विज्ञाापन रद्द

07:00 AM Aug 21, 2024 IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (एजेंसी)
विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ (सीधी भर्ती) के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति करने के विज्ञापन को लेकर विवाद के बीच केंद्र ने मंगलवार को इसे रद्द करने का निर्देश दिया। आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं- आईएएस, आईपीएस और आईएफओएस और अन्य ‘ग्रुप ए’ सेवाओं के अधिकारी तैनात होते हैं। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा ‘ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।’ यूपीएससी ने 17 अगस्त को यह विज्ञापन जारी किया था। विपक्षी दल यह कहते हुए इसकी कड़ी आलोचना कर रहे थे कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण अधिकारों का हनन होगा।
वहीं, केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने अपने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण ‘हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है, जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक अन्याय को दूर करना और समावेशिता को बढ़ावा देना है।’ सिंह ने कहा, ‘चूंकि इन पदों को विशिष्ट मानते हुए एकल-कैडर पद के रूप में नामित किया गया है, इसलिए इन नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, इस कदम की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता है।’
सिंह ने कहा कि पिछली सरकारों के तहत विभिन्न मंत्रालयों में सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद, यूआईडीएआई का नेतृत्व आदि, बिना किसी आरक्षण प्रक्रिया का पालन किए, ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से भरे गए। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के ‘कुख्यात’ सदस्य एक सुपर-नौकरशाही की अगुवाई करते थे, जो प्रधानमंत्री कार्यालय को नियंत्रित करती थी।’ मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले अधिकांश प्रमुख ‘लेटरल एंट्री’ तदर्थ तरीके से की गई थीं, जिनमें कथित पक्षपात के मामले भी सामने आए थे। हमारी सरकार का प्रयास इस प्रक्रिया को संस्थागत रूप से संचालित, पारदर्शी व मुक्त बनाना रहा है।

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विरोध के कारण पीछे हटी सरकार : कांग्रेस

कांग्रेस ने दावा किया कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं के विरोध के कारण केंद्र सरकार ‘लेटरल एंट्री’ के मामले पर पीछे हटी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘संविधान जयते। हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमजोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने आरक्षण छीनने के भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरा है। लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताकत ही हरा सकती है।’ उन्होंने दावा किया, ‘जब तक भाजपा-आरएसएस सत्ता में है, वो आरक्षण छीनने के हथकंडे अपनाती रहेगी। हम सबको सावधान रहना होगा।’

ऐसी साजिशों को नाकाम करेंगे : राहुल

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं- 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।’ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘यूपीएससी में लेटरल एंट्री के पिछले दरवाजे से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है।’ आप के सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘240 सीट पर रोके जाने के बावजूद भाजपा अपनी हरकत से बाज नहीं आ रही है। वह आरक्षण खत्म करना चाहती है।’

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