मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

नदियों के लिए तीन दशकों में पिछला साल रहा सबसे सूखा

06:53 AM Oct 08, 2024 IST

जिनेवा, 7 अक्तूबर (एजेंसी)
संयुक्त राष्ट्र मौसम एजेंसी ने सोमवार को बताया कि 2023 विश्व की नदियों के लिए तीन दशकों से अधिक समय में सबसे सूखा वर्ष रहा, क्योंकि रिकॉर्ड गर्मी की वजह से जल प्रवाह घट गया और कुछ स्थानों पर लंबे समय तक सूखे की स्थिति बनी रही।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई देशों में स्थित ग्लेशियर को गत पांच दशक में भारी नुकसान हुआ है जो इन नदियों में जल के स्रोत हैं। संगठन ने चेतावनी दी कि बर्फ पिघलने से वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों के लिए दीर्घकालिक जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। डब्ल्यूएमओ की महासचिव सेलेस्टे साउलो ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘हमें लगातार बढ़ती हुई अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और सूखे के रूप में संकट के संकेत मिल रहे हैं, जो जीवन, पारिस्थितिकी तंत्र और अर्थव्यवस्था पर भारी असर डाल रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण जल चक्र ‘अधिक अनिश्चित और अप्रत्याशित’ हो गया है, जिससे सूखे और बाढ़ दोनों के माध्यम से ‘या तो बहुत अधिक या बहुत कम पानी’ उपलब्ध हो सकता है। मौसम एजेंसी ने संयुक्त राष्ट्र जल के आंकड़ों के हवाले से कहा कि करीब 3.6 अरब लोगों को साल में कम से कम एक महीने तक जल संकट का सामना करना पड़ता है और यह आंकड़ा 2050 तक बढ़कर पांच अरब तक पहुंचने की आशंका है। साउलो ने कहा कि विश्व को 2023 में अब तक के सबसे गर्म वर्ष का सामना करना पड़ा और इस साल भी अबतक की सबसे भीषण गर्मी पड़ी जिससे 2024 में नया रिकॉर्ड बनने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका का दक्षिणी हिस्सा, मध्य अमेरिका और दक्षिणी अमेरिकी देश जैसे अर्जेंटीना, ब्राजील, पेरू और उरुग्वे में वृहद पैमाने पर सूखे की स्थिति रही।

Advertisement

यमुना में सितंबर में जल-मल प्रदूषण उच्चतम स्तर पर रहा

नयी दिल्ली : सितंबर माह में यमुना नदी में जल-मल प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, ‘फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ का स्तर - अशोधित जलमल का एक प्रमुख संकेतक- प्रति 100 मिलीलीटर में 4,900,000 सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) तक बढ़ गया, जो 2,500 इकाई के मानक से 1,960 गुना और 500 इकाई की वांछित सीमा से 9,800 गुना अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून की बारिश से जल प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, ‘फीकल कोलीफॉर्म’ के लिए प्रदूषण संकेतक ‘चिंताजनक रूप से’ उच्च बना रहा। भारत मौसम विभाग के अनुसार, 2024 के मानसून मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 1,030 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि जैसे-जैसे नदी शहर से होकर बहती है, प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है। टि्रब्यून फाइल फोटो

Advertisement
Advertisement