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हाईवे की एवज में वन लगाने के लिए नहीं मिल रही जमीन

08:28 AM May 02, 2025 IST
हाईवे की एवज में वन लगाने के लिए नहीं मिल रही जमीन
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रामकुमार तुसीर
सफीदों, 1 मई
निरंतर बढ़ रहे वाहनों के दबाव व दुर्घटनाओं की आशंकाओं के दृष्टिगत सरकार ने सफीदों-जींद स्टेट हाईवे को 3 मीटर चौड़ा करने की परियोजना तो मंजूर की लेकिन इसके लिए सड़क किनारे के पेड़ों के कटान पर वन विभाग को वनीकरण के लिए जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पिछले 6 माह से एतराजों से घिरी है। इस बीच इस परियोजना पर शीघ्र काम शुरू होने के सत्ताधारी लोगों व वरिष्ठ अधिकारियों केदावे भी खोखले साबित हो रहे हैं। अलेवा खण्ड के बधाना की 22 कनाल 6 मरले, उझाना खण्ड के खरल गांव की 4 एकड़ व जुलाना खण्ड के शामलो कलां गांव की 15 एकड़ शामलात जमीन, कुल 41 एकड़ 6 मरले जमीन खरीदकर वन विभाग को दी जाने की प्रक्रिया चल रही है। करीब 6 माह पहले तीनों ग्राम पंचायतों ने कलेक्टर रेट पर जमीन देने के प्रस्ताव विधिवत स्वीकृति के लिए विकास एवं पंचायत निदेशालय भिजवाए थे, जिनपर एक के बाद एक एेतराज लगते रहे हैं। आज भी स्थिति यह है कि खरल गांव की जमीन के मामले में नया एेतराज यह लगाया गया है कि इस जमीन का सम्पर्क रास्ता नहीं है। गांव के सरपंच कैलाश ने आज बताया कि सम्बंधित अधिकारियों से मिल एेतराज दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस गांव की फाइल पर कई ऐतराज पहले भी लग चुके हैं। जुलाना के शामलो कलां गांव के मामले में पांचवें एतराज को दूर करते हुए, बीडीपीओ प्रतीक कुमार के अनुसार, दो दिन पहले अक्स सिजरा मुख्यालय को भेजा गया। अलेवा खण्ड के गांव बधाना का मामला जरूर निदेशालय से मंजूर हो गया है। खण्ड अधिकारी अक्षय कुमार ने आज बताया कि करीब एक महीना पहले निदेशालय से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसके बाद कहां क्या कार्रवाई चल रही है, पता नहीं।

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फोरलेन बनाने की भी हुई थी हवाई घोषणा

बता दें कि सफीदों-जींद स्टेट हाईवे को फोरलेन बनवाने की घोषणा सोनीपत के पूर्व भाजपा सांसद रमेश कौशिक ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से भी कुछ दिन पहले चुनावी तैयारी में कर दी थी। वह चुनाव जीतने के बाद भी कौशिक ने दो बार जनसभाओं में इसकी फोरलेनिंग पर शीघ्र काम शुरू होने की घोषणा से वाहवाही लूटी जबकि इसकी फोरलेनिंग का प्रस्ताव तक नहीं था। इस सड़क को चौड़ा करने की परियोजना में अनावश्यक विलंब से सरकार व विभाग की किरकिरी तो हो ही रही है, दुर्घटनाएं भी रोज-रोज हो रही हैं। दूरदराज के इलाकों से भारी वाहनों समेत ट्रैफिक निरंतर बढ़ रहा है जबकि सड़क की हालत खस्ता है।

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