मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

लाखों फूंक छोरा गया विदेश तो गांव में दिवाली

08:24 AM Oct 01, 2023 IST

भरतेश सिंह ठाकुर/ ट्रिन्यू
करनाल/कुरुक्षेत्र, 30 सितंबर
करनाल के गांव शामगढ़ और कुरुक्षेत्र के अभिमन्युपुर में हर दूसरी-तीसरी रात को दिवाली जैसा उत्सव मनाया जाता है। पटाखे फोड़े जाते हैं। मिठाइयां बांटी जाती हैं। यह खुशी, यह जश्न होता है गांव के किसी न किसी छोरे के अमेरिका पहुंचने का। ‘डंकी रूट’ यानी कई देशों से होते हुए अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचते ही गांव में धूम-धड़ाका शुरू हो जाता है। ये दोनों गांव रोड़ बहुल हैं और इस समुदाय के युवाओं में डंकी रूट से विदेश जाने का चलन बढ़ रहा है।
शामगढ़ में सागर चौधरी के परिवार ने अमेरिका पहुंचने के बाद मंगलवार रात 75,000 रुपये के पटाखे फोड़े। सागर के परिवार ने उन्हें डंकी रूट से अमेरिका भेजने पर करीब 54-55 लाख रुपये खर्च किये हैं। साहिल (25) कहते हैं, ‘मेरा छोटा भाई सागर 17 अगस्त को रवाना हुआ था और इथियोपिया, दक्षिण कोरिया, जापान, मैक्सिको और अल साल्वाडोर के रास्ते 24 सितंबर को अमेरिका पहुंचा।’ उसके दो चाचा, चचेरे व ममेरे भाइयों ने भी वही रास्ता अपनाया। मैं भी किसी दिन जा सकता हैं।’
12वीं कक्षा पास सागर शामगढ़ के अन्य युवाओं की तरह विदेश में काम करने का सपना देख रहा था। परिवार के पास सिर्फ दो एकड़ जमीन है। साहिल कहते हैं, यहां नौकरियां नहीं हैं, निजी नौकरी में ज्यादा से ज्यादा 12,000 से 15,000 रुपये तक ही मिलते हैं।
हाल के वर्षों में शामगढ़ से करीब 400-450 युवा विदेश गये हैं। पूर्व-सरपंच बालकृष्ण कहते हैं, ‘शामगढ़ में सभी समुदायों के युवा विदेश जा रहे हैं, लेकिन रोड़ समुदाय में यह प्रवृत्ति अधिक है।

Advertisement

वॉलीबॉल के खिलाड़ी देने वाला गांव अब सूना

शामगढ़ से करीब 20 किलोमीटर दूर अभिमन्युपुर (अमीन) गांव की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। धान के खेतों से घिरे, इस गांव ने पिछले कुछ वर्षों में कई वॉलीबॉल खिलाड़ियों को तैयार किया, लेकिन अब युवा डॉलर के सपनों का पीछा कर रहे हैं। लगभग हर दूसरे घर का एक युवा विदेश में काम करता है। यहां खेल एकेडमी चला चुके यशपाल आर्य बताते हैं, ‘मेरी एकेडमी में करीब 100 युवा वॉलीबॉल का प्रशिक्षण लेते थे। फिर लॉकडाउन आ गया। उसके बाद मुझे इसे बंद करना पड़ा, क्योंकि अधिकांश लड़के विदेश चले गए।’ करीब 32 एकड़ जमीन वाले किसान देशराज (75) के छह पोते हैं। उनमें से पांच विदेश चले गए हैं; तीन डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे। छठा पोता, जो 12 साल का है वह भी अमेरिका जाना चाहता है।

उम्र की सीमा नहीं

शामगढ़ में युवा ही नहीं, शादीशुदा और बच्चों के पिता भी विदेश जा रहे हैं। दो बच्चों के पिता 37 वर्षीय शक्ति सिंह के पास 3 एकड़ जमीन है और वह दो बार अवैध रूप से विदेश जा चुके हैं। एक बार, 2018 में उन्हें मैक्सिको से डिपोर्ट कर दिया गया था, जबकि अप्रैल में टाइफाइड होने के बाद वह इटली से लौटे थे। वह कहते हैं, ‘गांव में खाली बैठे रहने से बाहर रहना कहीं बेहतर है।’ अवैध इमिग्रेशन की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख आईजीपी सिबाश कबिराज के अनुसार, अप्रैल से अब तक आव्रजन धोखाधड़ी के 463 मामले दर्ज किए गए हैं और 380 गिरफ्तारियां की गई हैं।

Advertisement

Advertisement