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कुरुक्षेत्र का ‘चुनावी महाभारत’, नवीन जिंदल बने भाजपा के ‘अर्जुन’

11:10 AM Mar 27, 2024 IST
कुरुक्षेत्र का ‘चुनावी महाभारत’  नवीन जिंदल बने भाजपा के ‘अर्जुन’
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ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 26 मार्च
कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के सियासी रण में भाजपा द्वारा पूर्व सांसद नवीन जिंदल को चुनावी योद्धा के रूप में उतारा है। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद नवीन जिंदल को भाजपा की टिकट मिलने के बाद यहां चुनावी मुकाबला और रोचक हो गया है। यहां से इनेलो के अभय चौटाला और इंडिया गठबंधन से डॉ़ सुशील गुप्ता पहले से ही चुनावी रण में डटे हैं। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र का जिंदल परिवार से काफी पुराना नाता है।
बता दें कि इससे पहले हविपा-भाजपा गठबंधन में ओमप्रकाश जिंदल हविपा के टिकट पर वर्ष-1996 में सांसद थे। इसके बाद नवीन जिंदल 2004 और 2009 में दो बार यहां से कांग्रेस सांसद रहे। अब नवीन जिंदल के भाजपा की तरफ से चुनावी रण में कूदने से मुकाबला और रोचक हो गया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी व सांसद नवीन जिंदल द्वारा यह किला फतेह करना जरूरी हो गया है। यह सीट स्वयं मुख्यमंत्री नायब सैनी के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। नायब सैनी वर्तमान में इसी लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी हैं। कुरूक्षेत्र लोकसभा हॉट सीट बन गई और यहां तीनों उम्मीदवारों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। इंडिया गठबंधन प्रत्याशी डॉ़ सुशील गुप्ता के लिए भी यह सीट बहुत मायने रखती हैं। गठबंधन में कुरुक्षेत्र लोकसभा की सीट आप के हिस्से में आई थी और उसे अपनी साख बचाने के लिए यह सीट जीतना जितनी बेहद जरूरी है। इस सीट के साथ राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। अभय चौटाला के पास नवीन जिंदल के हाथों वर्ष-2004 में मिली करारी हार का बदला लेने का मौका है। इसी क्षेत्र से अभय चौटाला के पुत्र अर्जुन चौटाला को भी 2019 के चुनाव में शिकस्त मिली थी। अभय चौटाला यहां से जीत दर्ज कर पार्टी को संजीवनी प्रदान करने का प्रयास करेंगे।

नवीन जिंदल को दोहरा लाभ

भाजपा में आने से नवीन जिंदल को दोहरा लाभ मिला है। उनके कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर सहित पूरे प्रदेश में समर्थक एवं प्रशंसक हैं। मोदी की गारंटी लिए भाजपा का एक मजबूत संगठन भी उनके पास है और उनकी अपनी एक पुरानी व अनुभवी टीम। तीनों बातों का देखते हुए नवीन जिंदल के लिए भाजपा में काम करना अधिक नया नहीं होगा। बेशक, पांच वर्षों से वे राजनीति से दूरी बनाए हुए थे लेकिन समर्थकों के साथ उनके संपर्क अभी भी कायम हैं। दो बार सांसद रहते हुए उनकी संसद में शत-प्रतिशत हाजिरी रही। ओमप्रकाश जिंदल ट्रस्ट के माध्यम से भी वे समाजसेवा भी करते हैं।

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पांच साल बाद राजनीति में सक्रिय हुये जिंदल

2004 में नवीन जिंदल कांग्रेस की टिकट पर कुरुक्षेत्र से पहली बार चुनावी रण में आए। उन्होंने अभय चौटाला को 13000 वोटों से हराया। 2009 में वे एक बार फिर सांसद बने लेकिन 2014 में वे चुनाव हार गए। 2019 में उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। ऐसे में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री निर्मल सिंह को यहां से मैदान में उतारा। अब कांग्रेस छोड़कर भाजपाई हो चुके नवीन जिंदल पांच वर्षों के गेप के बाद फिर से चुनावी राजनीति में एक्टिव हुए हैं।

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