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शिरगुल महाराज के मंदिर में ‘कुरुड़’ स्थापित

07:28 AM Oct 12, 2024 IST
सिरमौर और शिमला की सीमा पर चूड़धार में शांत महायज्ञ में भाग लेने पहुंचे हजारों लोग।

यशपाल कपूर
सोलन,11 अक्तूबर
हिमाचल व उत्तराखंड के आराध्य देव श्रीगुल महाराज की तपोस्थली चूड़धार का नजारा शुक्रवार को दर्शनीय था। 22 वर्षों के बाद शिरगुल महाराज के प्राचीन मंदिर में कुरुड़ की स्थापना का शांत महायज्ञ संपन्न हुआ। दोपहर 12:56 बजे शिरगुल जी महाराज, जिन्हें भगवान शिव का अंशावतार माना जाता है, के प्राचीन मंदिर में शांत महायज्ञ के पश्चात ‘कुरुड़’ स्थापना का कार्य शुरू हुआ। इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के साक्षी हजारों श्रद्धालु बने। शिरगुल महाराज की जय के उद्घोष से चूड़धार चोटी की वादियां गूंज उठीं। इस दौरान पहले से तैयार कुरुड़ को शिरगुल के जयकारों के साथ लाया गया और मंदिर के शिखर पर स्थापित कर दिया गया। दोपहर को कुरुड़ स्थापना शुरू हुई। इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के गवाह चोटी पर मौजूद हजारों श्रद्धालु बने। साढ़े 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार चोटी का नजारा बेहद विहंगम व आलौकिक था। चोटी के करीब 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में मौजूद श्रद्धालुओं ने इस दैव्य नजारे को देखा व शिरगुल महाराज की असीम शक्ति का अहसास लिया।
ये धार्मिक आयोजन शिमला व सिरमौर जिला के धार्मिक इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है, क्योंकि शिरगुल महाराज दोनों जिलों के आराध्य देव हैं। इस धार्मिक आयोजन, जिसे शांत कहा जाता है का साक्षी बनने के लिए शिमला व सिरमौर से हजारों श्रद्धालु चूड़धार चोटी पहुंचे। यह धार्मिक आयोजन न केवल आस्था और परंपरा का प्रतीक था, बल्कि स्थानीय संस्कृति और लोगों के समर्पण का भी प्रतिबिंब था। श्रद्धालुओं और सेवकों के सामूहिक प्रयासों से यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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