मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

कुलदीप के सामने नलवा का ‘रिवाज’ बदलने की चुनौती

10:08 AM Oct 03, 2024 IST
रणधीर सिंह पनिहार

कुमार मुकेश/ हप्र
हिसार, 2 अक्तूबर
हिसार जिले के नलवा हलके का मिजाज कुछ अलग ही रहा है। साल 2008 के परिसीमन में आदमपुर से टूटकर बने इस हलके की खास बात यह रही है कि इसने भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल के परिवार को हमेशा शिकस्त दी है। चाहे चुनाव मैदान में उनकी पत्नी, बेटा या समर्थक ही क्यों ना हों। हलके की खास बात यह भी रही है कि इस इसने मौजूदा विधायक की पार्टी को अगली बार मौका नहीं दिया।
नलवा हलके में सबसे पहला चुनाव वर्ष 2009 में हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी संपत सिंह पहले विधायक बने। उन्होंने भजनलाल की पत्नी एवं आदमपुर से विधायक रह चुकीं जसमा देवी को 10 हजार 901 वोटों से शिकस्त दी। साल 2014 के चुनाव में इनेलो के टिकट पर रणबीर सिंह गंगवा ने चुनाव लड़ा। उनका मुकाबला भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई से हुआ। चंद्रमोहन हजकां (बीएल) के टिकट पर लड़े, लेकिन गंगवा से जीत नहीं पाये।

Advertisement

अनिल मान

इसके बाद रणबीर सिंह गंगवा इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। पार्टी छोड़ने का उन्हें यह फायदा हुआ कि वे 2019 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रणधीर सिंह पनिहार को हराने में कामयाब रहे। इस बार पनिहार भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, रणबीर सिंह गंगवा को यहां से शिफ्ट करके बरवाला भेजा गया है। कांग्रेस ने अनिल मान को टिकट दिया है, जो लंबे समय से इस इलाके में एक्टिव हैं। पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह का भी उन्हें समर्थन हासिल हो चुका है।
बसपा टिकट पर श्रवण कुमार वर्मा और आम आदमी पार्टी की तरफ से उमेश शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, जजपा ने नलवा में विरेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही दिख रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी अनिल मान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा के नजदीकी हैं। दोनों ही उनके चुनाव प्रचार को हवा दे चुके हैं। मान की हलके से जुड़ाव की दिलचस्प बात यह है कि यहां के लोग सेक्टर-15 स्थित उनके आवास के किचन तक में देखे जा सकते हैं।
वहीं दूसरी तरफ, भाजपा प्रत्याशी रणधीर पनिहार का यहां से यह दूसरा चुनाव है। पिछली बार कुलदीप बिश्नोई अपने साथी रणधीर पनिहार को कांग्रेस से टिकट दिलाने में सफल हुए थे और इस बार भाजपा से टिकट दिलाने में कामयाब रहे। रणधीर पनिहार की पहचान ही भजन परिवार व कुलदीप बिश्नोई के कट्टर समर्थक के रूप में है।
इस लिहाज से इस सीट पर अब सीधे तौर पर कुलदीप बिश्नोई की साख दांव पर लगी है। उनके सामने नलवा हलके का ‘रिवाज’ बदलने की चुनौती है। कुलदीप बिश्नोई अपने परिवार सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पूर्व में भजनलाल के प्रति की गई एक टिप्पणी का मुद्दा भी कांग्रेसियों द्वारा उछाला जा रहा है। अनिल मान की लोगों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। हालांकि इस सीट पर अभी तक स्थिति यह है कि दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। जाट के अलावा एससी मतदाता जीत-हार में काफी निर्णायक रहेंगे।

Advertisement
Advertisement