कुलदीप बिश्नोई ने दिया इस्तीफा, महासभा का संरक्षक पद छोड़ा
>हिसार, 8 दिसंबर (हप्र)भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के दोस्त नलवा से विधायक रणधीर पनिहार पर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान द्वारा लगाए गए आरोप के बाद शुरू हुए विवाद के बीच कुलदीप बिश्नोई ने मुकाम धाम के पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद को पत्र लिखकर महासभा के संरक्षक पद से अपना इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा उन्होंने मुकाम धाम के पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद को महासभा का संरक्षक मनोनीत किया है और महासभा के चुनाव के लिए स्वामी रामानंद की अध्यक्षता में 29 सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। चुनावी प्रक्रियाओं के लिए राजस्थान के एडवोकेट एसके बिश्नोई को कानूनी सलाहकार नियुक्त किया है।इस बारे में लिखे पत्र में कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि 'बिश्नोई रत्न' स्व. चौ. भजनलाल के 2011 में देहांत के बाद अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, संत समाज और समाज के बुद्धिजीवी गणमान्य लोगों ने बैठक कर उनको अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। पिछले लगभग 12 वर्षों से उन्होंने पूरी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, महासभा के संविधान की मर्यादा का सम्मान करते हुए पूरी मेहनत से संरक्षक पद तथा एक वर्ष तक महासभा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन किया।
बोले-कभी पद की लालसा नहीं रही
उन्होंने कहा कि यह फख्र की बात है कि स्व. चौ. भजनलाल की जिस पदवी पर मुझे बैठाया गया था, उसका उन्होंने ईमानदारी से निवर्हन किया। अब वे अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक पद से इस्तीफा देते हैं क्योंकि अब वे बहुत ज्यादा सक्रिय रूप से समाज को समय नहीं दे पाएंगे। उनको कभी पद की लालसा नहीं रही। उन्होंने हरियाणा में उपमुख्यमंत्री पद, केंद्र में मंत्री पद तक को ठुकराया है, क्योंकि मेरे लिए अपने सिद्धांत और जमीर ज्यादा मायने रखते हैं।
जब वह महासभा का अध्यक्ष बना था तो एक साल के बाद ही समय अभाव के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद मलखान को अध्यक्ष बनाया गया था। जब समाज ने उनको संरक्षक बनाया तो उस समय भी अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा कमेटी को अपना इस्तीफा भेज दिया था, जिसे उन्होंने नामंजूर किया था। अब वे महासभा को सक्रिय रूप से समय न देने के कारण संरक्षक पद छोड़ रहे हैं लेकिन समाज को जब भी उनकी जरूरत पड़ेगी, 24 घंटे समाज के लोगों के लिए उनके घर के दरवाजे खुले रहेंगे।
बूड़िया के रणधीर पनिहार पर आरोप से शुरू हुआ बवाल
-बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने कुछ समय पूर्व सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहा था कि उनको रणधीर पनिहार (कुलदीप बिश्नोई के करीबी नलवा से विधायक) दिल्ली बुला रहे थे और वे गए तो उनके साथ बुरा बर्ताव किया। हालांकि, विधायक रणधीर पनिहार ने सफाई दी थी कि जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, ऐसी कोई बात नहीं है। इसके बाद देवेंद्र बूड़िया जोधपुर पहुंचे और वहां पर समाज के लोगों के साथ बैठक की और कहा कि वे समाज का प्रधान हैं और कोई बाहरी (रणधीर पनिहार) समाज के व्यक्ति का कैसे अपमान कर सकता है? इसके बाद बूड़िया ने बिश्नोई समाज की मीटिंग कर कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटा दिया।
देवेंद्र बूड़िया का जगह परसराम को बनाया प्रधान
इसी बीच कुलदीप बिश्नोई ने संरक्षक होने के नाते देवेंद्र बूड़िया को प्रधान पद से हटाकर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान नियुक्त कर दिया। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न का सम्मान वापस ले लिया। करीब एक सप्ताह पहले कुलदीप बिश्नोई को लेकर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा दोफाड़ हो गई थी। महासभा के 21 में से 14 सदस्यों ने कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद पर बरकरार रखने के लिए मुरादाबाद रजिस्ट्रार सोसाइटी को हस्ताक्षरयुक्त एक पत्र सौंप कर कहा गया था कि कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाना असंवैधानिक है।