कोलकाता के कारीगरों ने ट्राइबल आर्ट से बनाये एंट्री गेट
एस.अग्निहोत्री/ हप्र
मनीमाजरा, 30 नवंबर
कलाग्राम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले के द्वार (गेट) आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। चाहे मुख्य द्वार हो या फिर अन्य द्वार, सभी पर उस कला को दर्शाया गया है, जो आम इंसान की पहुंच से बाहर है। कोलकाता से आए 13 कारीगरों ने दिन-रात काम कर इसे तैयार किया है। इन कारीगरों के मुखिया अनूप गिरी 64 साल के हैं और 32 साल से इस काम को कर रहे हैं। अनूप बताते हैं कि उन्होंने ट्राइबल के लिए कई साल काम किया। उनके आर्ट ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया और वह चाहते थे कि उसे आम लोगों तक लेकर जाएं। उन्होंने पहले पेंटिंग बनानी शुरू की, लेकिन इस तरह के द्वार बनाकर ज्यादा दूर तक आर्ट को ले जा सकते हैं। उन्होंने 1992 में इसे करना शुरू किया। उनका कहना था कि तब भी मैं कला को सीख रहा था और आज भी मेरा सीखना जारी है।
गिरी ने कहा कि हमने मुख्य द्वार पर सिक्किम की कला को दर्शाया है। वहां हर शुभ काम के लिए इस आर्ट को बनाया जाता है और यहां पर भी शुभ काम हो रहा है। इसके अलावा हर द्वार पर अलग कला को प्रदर्शित करने का उनकी टीम ने प्रयास किया। हमने इसके लिए दो हफ्ते पहले काम शुरू किया था।
अनूप बताते हैं कि इसे बनाना आसान नहीं। आपको कला की समझ होनी चाहिए। इसके लिए घंटों लाइब्रेरी में भी बिताने पड़ते हैं, फिर उसकी ड्राइंग बनती है और उसके बाद कटिंग शुरू होती है। तीसरे पड़ाव पर उसे पेस्ट किया जाता है, क्योंकि इसमें कंपोजीशन और जगह सबसे अहम है।
उन्होंने कहा कि पहले ये आर्ट ट्राइबल तक ही सीमित था, लेकिन जब हमने इसे बाहर लाना शुरू किया तो लोगों का इसे प्यार भी मिला। हम छिपी कला को सामने लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि ट्राइबल एरिया में हर कोई नहीं जा सकता। वे भारत का अभिन्न अंग हैं और उसे लोग सम्मान भी दे रहे हैं। मेरा विचार है कि इस आर्ट को शहरों के साथ गांवों में भी दिखाना चाहिए।
इससे आर्ट को ज्यादा पहचान मिलेगी, क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा गांवों में रहता है।
मेले में दूसरे दिन भी उमड़ी भारी भीड़
शिल्प मेले में दूसरे दिन भी भारी भीड़ उमड़ी। विभिन्न राज्यों के लोकगीत व लोकनृत्यों के अलावा लोक कलाकारों द्वारा मंच और मैदान पर आकर्षक प्रस्तुतियां भी दी गईं। बच्चों के लिए सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया, जिसमें स्कूली छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मेले में कलाप्रेमियों ने विभिन्न क्षेत्रों के लोक नृत्यों और लोक गीतों सहित विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियों का आनंद लिया। पारंपरिक परिधानों में सजे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और अन्य स्थानों से आए कलाकारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हुए भारत की समृद्ध और समग्र सांस्कृतिक विरासत की झलक पेश की। मेले में आने वाले लोगों के लिए हेरिटेज स्ट्रीट और पंजाब की संस्कृति को दिखाता एक कोना पसंदीदा जगह रही। मीठे के शौकीनों में गोहाना (हरियाणा) का जलेब सबसे पसंदीदा रहा। शाम के मुख्य कलाकार पंजाबी गायक गुरनाम भुल्लर ने अपने हिट गानों से दर्शकों का मन मोह लिया।