सत्य की तलाश से ज्ञान
एक बार जब दारा शिकोह को सत्ता संघर्ष के दौरान मुगल सेवकों द्वारा जहर दिया गया था, तब वह सिख गुरु हर राय के पास गए। गुरु हर राय ने 17वीं शताब्दी में दारा शिकोह को खुशी से शरण और शिक्षा दी थी। गुरु हर राय ने दारा शिकोह को गहन चिकित्सा सेवा प्रदान की और उसे सेहतमंद होने में मदद की। इसके बाद दारा शिकोह का जीवन के प्रति नजरिया बदल गया। उसने भगवद्गीता और उपनिषद जैसे हिंदू धर्मग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया और बाद के अध्ययन में शंकराचार्य की टिप्पणियों का बारीकी से मनन किया। नैतिक जीवन को समझा। साथ ही 52 उपनिषदों का अनुवाद ‘सिर्र-ए-अकबर’ नाम से किया। दारा अपने गुरु हर राय के प्रति विनम्र रहे, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में बेसुध हाल में उसे शरण के साथ यह शिक्षा दी थी कि ज्ञान के लिए सबसे ज़रूरी बात यह है कि उस व्यक्ति को केवल सत्य की तलाश के लिए बेचैनी होनी चाहिए।
प्रस्तुति : मुग्धा पांडे