खाप चौधरियों ने माना-अब बेटियों को बचाना ही होगा
अनिल शर्मा/निस
रोहतक, 4 अक्तूबर
प्रदेश में लिंगानुपात में बढ़ रहे अंतर पर खाप पंचायतों ने भी गहरी चिंता जाहिर की है। खाप पंचायतों ने कहा है कि बेटियों को बचाने के लिए उन्हें भी अब आगे आना होगा, नहीं तो आने वाले समय में इसके परिणाम गंभीर होंगे। साथ ही खाप चौधरियों ने कहा कि जिस तरह से बेटे के जन्म पर खुशियां मनाई जाती है, इसी तरह बेटियों के जन्म पर भी कुआं पूजन और थाली बजाना आदि प्रथा का चलन शुरू होना चाहिए। उन्होंने मांग की कि खाप पंचायतों के निर्णयों को वैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए क्योंकि उनके फैसले न्यायोचित होते हैं।
खाप चौधरियों ने माना कि समाज में बुजुर्गों की भूमिका कम होने के कारण सामजिक बुराइयों की शुरुआत हुई और समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को इन्हें ख़त्म करने के लिए आगे आना चाहिए। बुधवार को सांपला स्थित परशुराम भवन में आरपी एजुकेशन सोसाइटी, सहयोग संस्था व गर्ल्स काउंट के संयुक्त तत्वाधान में “बालिकाओ के प्रति भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंड की पहचान और उनका सम्बोधन” विषय पर खाप पंचायतों ने चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता अहलावत खाप प्रधान जय सिंह अहलावत ने की और सहायक भूमिका ओहल्याण खाप प्रधान रणधीर सिंह ने निभाई। कार्यक्रम में 19 विभिन्न खाप (पूनिया, दागड़, छिकारा, खत्री, खोखर, रूहल, फोगाट, खटकड़, गाह्ल्यान्, धनखड़, सूरा आदि) पंचायतों के प्रधान व प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, कैथल के अतिरिक्त उत्तरप्रदेश के बागपत से भी खाप प्रतिनिधियों ने भाग लिया। डॉ. सत्यपाल खोखर ने महिलाओं को लेकर समाज के दोहरे मापदंड की आलोचना की। अध्यक्ष जय सिंह अहलावत ने सामाजिक बुराईओं के प्रति खापों का नज़रिया, जनरेशन गैप, समाज में बेटियों का योगदान, सामाजिक फैसलों में खापों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। धनखड़ खाप के प्रधान डॉ. ओमप्रकाश ने खाप पंचायतों के इतिहास के साथ-साथ वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा की। उन्होंने मांग की कि खाप पंचायतों के निर्णयों को वैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए, क्योंकि उनके फैसले न्यायोचित होते हैं। उन्होंने बताया कि समाज में बुजुर्गों की भूमिका कम होने के कारण सामजिक बुराइयों की शुरुआत हुई और समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को इन्हें ख़त्म करने के लिए आगे आना चाहिए। गोयत खाप की महिला प्रतिनिधि सुदेश गोयत ने सामजिक सोच पर कुठाराघात करते हुए कहा कि “बेटियां कोमल हैं, कमजोर नहीं” उन्होंने समाज में जागरूकता की जरुरत पर बल दिया। इसी तरह गर्ल्स काउंट समन्वयक डॉ रिजवान ने आंकड़ों के साथ बेटियों की घटती संख्या पर चिंता जताई तथा खापों की सकारात्मक भूमिका की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सतीश कुंडू ने गर्भ के दौरान अल्ट्रासाउंड करवाने और बेटियों के जन्म के समय होने वाले भेदभाव के बारे में बताया और कहा कि बेटियों के जन्म के अवसर पर भी खुशियाँ मनाना, कुआँ पूजन और थाली बजाना आदि रीति-रिवाज करने चाहिए। इस अवसर पर जयभगवान रूहल, राजेश्वर जाखड़, बलवंत सिंह, कृष्ण सिंह, चिंटू प्रधान, जय किशन, कप्तान विनोद, बिजेंदर, नरेश, डॉ सतीश सांगवान, सपना, डॉ अलका, श्रीभगवान पहल, बल्ले राम, हरिकेश खटकड़, हरि, प्रदीप, दीपेश आदि प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।