विचार-व्यवहार में समय के साथ कदमताल
मॉडर्न होने के मायने तड़क-भड़क व फैशन-पहनावे से कहीं अधिक हैं। आजकल महिलाओं की सोच और व्यवहार में ऐसी आधुनिकता उजागर हो भी रही है। बढ़े आत्मविश्वास के साथ घर-बाहर दोनों की जिम्मेवारी संभालना, जोखिम उठाना, रूढ़ियां तोड़ आगे बढ़ना व कैरियर के साथ रिश्ते भी निभाना- से सब संकेत सोच में नये बदलाव के हैं।
सरस्वती रमेश
आधुनिक होना और आधुनिक दिखना दो अलग बातें हैं। हो सकता है कोई महिला पहनावे और लुक में आधुनिक दिखती हो लेकिन अपनी सोच और स्वभाव में अति पिछड़ी हो। ऐसी महिलाएं मॉडर्न समय में रहकर भी मॉडर्न नहीं कही जा सकती।
डर से कोसों दूर
आज की नारी आत्मविश्वास से भरी हुई है। आत्मविश्वास उसे हर परिस्थिति में डटे रहने का बल देता है। उसने डर से डरना छोड़ दिया है। वह बड़ी से बड़ी जिम्मेदारियां खुशी-खुशी लेती है और उन्हें पूरा करती है। नए-नए टास्क को वह चैलेंज की तरह लेती है और अपने अनुभवों के आकाश को नित नया आकार प्रदान करती है। लीक से हटकर काम करना मॉडर्न महिलाओं का पैशन बनता जा रहा है। अगर आप में भी यह पैशन है तो आप भी मॉडर्न हैं।
रिस्क लेने का जज्बा
जिंदगी में आगे बढ़ने वालों को कभी न कभी रिस्क लेना ही पड़ता है। इस मंत्र को महिलाओं ने समझा और अपने कैरियर, बिजनेस में खुद को स्थापित करने के लिए उन्होंने भी रिस्क लेना सीख लिया। सेफ साइड चुनकर जिंदगी एक ही परिपाटी पर चलते हुए बिता देना आधुनिक महिलाओं को स्वीकार नहीं। वे रिस्क लेती हैं और जीवन के उतार-चढ़ाव का आनंद लेते हुए जीती हैं।
अपने नियम खुद बनाना
रंजना अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। शादी के बाद अपने अभिभावकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए उसने उनके साथ ही रहने का फैसला किया। अपनी पत्नी के फैसले की अहमियत और जरूरत समझते हुए उसके पति ने भी उसके घर के पास ही एक फ्लैट खरीद लिया। जिससे वह उसके साथ भी समय गुजार सके। यह फैसला अब तक चली आ रही परंपराओं को तोड़ने वाला था। मतलब, परंपराएं निभाना अच्छी बात है लेकिन परंपराओं को परख कर निभाना और भी अच्छा है। मॉडर्न महिलाएं रटी-रटाई बातों, परम्पराओं को निभाने की बजाय सही-गलत का आकलन करती हैं। जिंदगी के जो नियम-कायदे उन्हें तर्कपूर्ण नहीं लगते, उन्हें तोड़ने में हिचकती नहीं और अपने नियम खुद बनाती हैं।
बातचीत का विषय
इक्कीसवीं सदी में महिलाओं के बातचीत के विषय में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। जहां पुराने समय में महिलाओं की बातचीत का विषय घर गृहस्थी, गहने व साड़ियों पर केंद्रित रहता था। वहीं आधुनिक महिलाएं हेल्थ, फाइनेंस, राजनीति और महिलाओं के हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना पसंद करती हैं। बातचीत के इन बदले विषयों का मतलब साफ है। आधुनिक महिलाएं अपने परिवेश के प्रति अधिक जागरूक और सजग हुई हैं। उनकी जानकारी का दायरा बढ़ा है। रुचियों में बदलाव हुआ है।
समय का सदुपयोग
आधुनिक स्त्री की जिंदगी में टाइम मैनेजमेंट का बड़ा महत्व है। वह घर-बाहर, नाते-रिश्ते सबका संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ रही है। उसे अपनी दिनचर्या को अधिक उपयोगी भी बनाना है इसलिए हर मिनट का महत्व है। आधुनिक स्त्री इस बात से वाकिफ है कि जिसका समय व्यवस्थित है उसका काम और जीवन भी व्यवस्थित होता है।