Kailash Mountain Mystery : आज तक कोई क्यों नहीं चढ़ पाया भगवान शिव के कैलाश पर्वत? आप भी नहीं जानते होंगे ये रहस्य
चंडीगढ़, 13 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Kailash Mountain Mystery : कैलाश पर्वत, तिब्बत में स्थित वह रहस्यमय पर्वत है, जिसे न केवल हिंदू बल्कि बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्म में भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट) है।
हालांकि इसके धार्मिक और रहस्यमयी महत्व के कारण इसे मात्र एक पर्वत कहना उचित नहीं होगा। वहीं, इस पर्वत से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं जो आज तक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को चौंकाते रहे हैं।
चढ़ाई का रहस्य
आज तक किसी भी मानव ने कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़ाई नहीं की है। यह पर्वत तकनीकी रूप से एवरेस्ट जितना कठिन नहीं है, फिर भी इसे फतह करना असंभव माना जाता है। माना जाता है कि जो भी पर्वत पर चढ़ाई करने का प्रयास करता है, उसे अदृश्य शक्तियों द्वारा रोका जाता है या उसे जीवन से हाथ धोना पड़ता है। ब्रिटिश पर्वतारोही कॉलीन्स ने कहा था कि उन्होंने कैलाश चोटी तक पहुंचने की योजना बनाई। एक रहस्यमय "मन की आवाज" ने उन्हें वापस लौटने को कहा।
दिव्य आकृति और रहस्यमयी स्थिति
कैलाश पर्वत की आकृति एक शिवलिंग की तरह दिखाई देती है और इसके चारों ओर की घाटियां 'धम्म चक्र' का आभास कराती हैं। यह पर्वत चार पवित्र नदियों - ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज और करनाली का उद्गम स्थल भी है, जो चारों दिशाओं में बहती हैं। इसे 'पृथ्वी का अक्ष' (Axis Mundi) भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड का केंद्र।
समय की असामान्य गति
कैलाश पर्वत के पास यात्रियों ने समय की गति में अंतर महसूस किया है। कहा जाता है कि यहां समय सामान्य से तेज चलता है। कुछ यात्री यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने यहां कुछ ही घंटे बिताए लेकिन जब नीचे लौटे तो कई दिन बीत चुके थे। वैज्ञानिक भी इस असमान समय अनुभव की व्याख्या नहीं कर पाए हैं।
मानव निर्मित नहीं, फिर भी सटीक ज्यामिति
कैलाश पर्वत और इसके आस-पास के अन्य पर्वत एक विशेष ज्यामितीय संरचना में स्थित हैं। ये एक कमपास के चारों दिशाओं की तरह व्यवस्थित हैं, जो यह दर्शाता है कि इस स्थान को किसी "दिव्य शक्ति" ने रचा होगा।