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विभीषिका को सुनने मात्र से खड़े हो जाते हैं रोंगटे

12:38 PM Aug 14, 2022 IST
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भिवानी, 13 अगस्त (हप्र)

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि ऐसे लोगों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने धर्म के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया लेकिन धर्म को नहीं छोड़ा। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल कृष्ण पोपली द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद ने कहा कि पंजाबी समुदाय के लोग चाहते तो धर्म बदल कर पाकिस्तान में रह सकते थे लेकिन उन्होंने धर्म नहीं बदला और अपना सब कुछ छोड़ दिया। कई लोगों को तो अपनी जान तक गंवानी पड़ी, लेकिन उन्होंने धर्म नहीं बदला। उन्होंने मंच से नीचे बैठे पंजाबी समाज के लोगों को मंच पर बैठने का न्यौता दिया और कहा कि मंच पर बैठने के असली हकदार यही लोग हैं। मंच पर बैठाने के बाद विभाजन के समय आये सभी 101 लोगों को सम्मानित किया गया।

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कार्यक्रम में विभाजन के समय पूर्वी पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) से भारत के हिस्से में आये भारतीयों को हांसी के विधायक विनोद भ्याना, जींद के विधायक कृष्ण मिड्ढा व भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह के द्वारा सम्मानित किया गया। हांसी के विधायक विनोद भ्याणा ने कहा कि विभाजन का दंश सबसे बड़ा दंश था। इस दंश में धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लाखों लोगों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी थी। ये बुजुर्ग हमारी विरासत है जिन्होंने अपनी आंखों से उस दंश को देखा था। हिन्दू व हिन्दुत्व की रक्षा के लिए उन्होंने अपना सब कुछ छोड़ दिया और बंटवारे के समय भारत की मिट्टी से ही लगाव रखा। इस दौरान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया कि उन्होंने हर वर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया ताकि आने वाली पीढ़ी को विभाजन के बारे में जानकारी मिल सके।

जींद के विधायक कृष्ण मिड्ढा ने कहा कि विभाजन की विभीषिका को देखा नहीं है लेकिन सुनने मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि उस समय हिंदुओं पर लगतार अत्याचार किये जा रहे थे, उनके सर कलम किये जा रहे थे। उन्होंने बताया कि कई लोगों ने तो अपनी ही बेटियों ओर महिलाओ का स्वयं ही गला घोंट कर मार दिया या फिर कट्टर मुस्लिमों से बचने के लिए उनके सर कलम कर दिया था। अपनी बेटियों को धर्म को बचाने के लिए जहर देकर मार दिया था। ऐसे दंश को झेलकर ये लोग भारत की भूमि पर आए थे। यहां आने के बाद भी किसी के आगे हाथ नही फैलाये बल्कि अपनी मेहनत और हिम्मत से फिर से खड़े हुए। कुछ लोगों ने उनका नाम शरणार्थी भी रखा, लेकिन परवाह नहीं की। कृष्ण मिड्ढा ने कहा कि शरणार्थी शब्द का प्रयोग उनके लिए न हो इसके लिए उन्होंने विधानसभा में आवाज भी उठाई थी। गोपाल कृष्ण पोपली ने सरकार से आह्वान किया कि शरणार्थी शब्द पर कड़ा कानून बनाये। उन्हें शरणार्थी नहीं बल्कि पुरुषार्थी कहा जाए। कार्यक्रम के बाद में शहीद परिवारों के लिए कैंडल मार्च भी निकाली गई जो कि पंचायत भवन से चल कर क्राउन प्लाजा तक चली।

इनकी रही उपस्थिति

कार्यक्रम में आयोजन समिति में पार्षद विनोद चावला, पूर्व पार्षद मुकेश रहेजा, हर्षदीप डुडेजा, बंसीधर महता, विशंभर अरोड़ा, पार्षद सुमिता बजाज डुडेजा, अविनाश सरदाना, सोहन लाल मक्कड़, अधिवक्ता राजेश पोपली, डॉ विवेक मुंझाल, भाजपा नेता ठाकुर विक्रम सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष शंकर धोपड़ा, संजय दुआ, विनोद मिर्ग, प्रेम धमीजा , दर्शन मिड्डा, आशु कामरा, विकास महता, राजेश मुखी, संजय शर्मा धीरज सैनी, हर्षवर्धन मान, रविन्द्र बापोड़ा, देवेंद्र कुमार, राजेश जांगड़ा, देवेन रहेजा, भुवन चावला, अभिनव दुरेजा, संजय कक्कड़ व सामाजिक संस्थाओं तथा चांग, बलियाली, तोशाम गांव के लाेग मौजूद थे।

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