मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

महज सौ ग्राम वज़न ने छीना विनेश से पदक

06:33 AM Aug 09, 2024 IST
रोहित महाजन

बीते जमाने में पहलवान अपनी गर्दन में पत्थर का भारी कड़ा (रिंग) पहनकर दंड-बैठकें लगाया करते थे, किंतु विनेश फोगाट के गले पड़े नियम रूपी कड़े का वजन बेशक 100 ग्राम था, लेकिन उसकी उम्मीदों को ले डूबा। बुधवार की सुबह विनेश फोगाट को महिला कुश्ती की 50 किलो फ्रीस्टाइल श्रेणी में वजन 100 ग्राम अधिक पाए जाने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। फाइनल में भिड़ंत अमेरिकी की साराह हाईबैंटेड से होनी थी और जीतने पर स्वर्ण पदक मिल सकता था, लेकिन यह अवसर हाथ से जाता रहा। विनेश को अयोग्य घोषित किए जाने में हद दर्जे की खराब व्यावसायिक कारगुजारी प्रतीत हो रही है और उसका मामला कुश्ती जगत में चर्चा का विषय बन गया, ओलंपिक के फाइनल में ऐसा पहले कभी हुआ हो, याद नहीं पड़ता। मुकाबले के पहले दिन यानी मंगलवार को वह अपना वज़न तयशुदा सीमा के भीतर बनाने में सफल रही लेकिन बुधवार को ऐसा नहीं कर पाई। 2016 और 2021 के ओलंपिक की भांति इस बार भी विनेश सबसे सम्माननीय खेलकुंभ में पदक हासिल करने का अपना सपना पूरा नहीं कर पाई।
स्वर्ण पदक मुकाबले वाले दिन की सुबह, जब विनेश का वज़न 100 ग्राम अधिक पाया गया तो इससे बच निकलने का जरा भी रास्ता न था क्योंकि नियमों के मुताबिक 10 ग्राम अधिक होने पर भी पहलवान अयोग्य घोषित हो जाता है। वज़न नियमों के प्रति अत्यधिक कड़ाई वाले खेल जैसे कि कुश्ती, बॉक्सिंग, जूडो और ताईक्वांडो में, प्रतिद्वंद्वियों के आकार और भार में समानता एक अनिवार्यता है। वह इसलिए कि दोनों के लिए मौका एक समान हो, यह नहीं कि बड़े से छोटे को भिड़ा दिया जाए। उदाहरणार्थ, 53 किलो भार के पहलवान के मुकाबले 50 किलो वाले को अखाड़े में नहीं उतारा जा सकता, अन्यथा अधिक वज़नी पहलवान को ताकत और पकड़ के मामले में बहुत फायदा मिल जाएगा। खेल अप्रत्याशित हो सकता है और कई बार हल्का दिखने वाला खिलाड़ी ताकत और पकड़ में अपनी कमजोरी पर पार पाते हुए, दांव-पेचों के सहारे अपने से बड़े पहलवान को चित्त कर देता है। नामी प्रतियोगिताओं में तगड़े खिलाड़ी अकसर बहुत फायदे में रहते हैं। लेकिन ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप जैसी कुलीन प्रतियोगिताओं में नियम बहुत सख्त होते हैं, मानो पत्थर पर लकीर –यहां तक कि कुछ ग्राम अधिक वज़न निकलने पर पहलवान या बॉक्सर को बाहर कर दिया जाता है।
संयुक्त विश्व कुश्ती संघ, जोकि इस खेल के लिए वैश्विक प्रशासनिक संस्था है, की नियम संहिता के अनुसार मुकाबले वाले दिन की सुबह प्रतियोगी का वज़न तोला जाता है, ओलंपिक या विश्व चैम्पियनशिप जैसे बड़े आयोजनों में मुकाबले दो दिन चलते हैं। प्रथम दिन यदि खिलाड़ी का वजन अधिक आए तो तयशुदा सीमा तक घटाने के लिए उसे आधे घंटे का वक्त दिया जाता है, इस दौरान वह जॉगिंग, साईकिलिंग, रस्सी कूद या तेज दौड़ इत्यादि उपायों से अपने भार में कमी लाने का प्रयास करता है और फिर से वजन तोलने की मशीन पर चढ़ता है। पर यह तभी कारगर है जब मामला चंद ग्राम भार घटाने का हो। दूसरे दिन, जिस रोज फाइनल खेला जाना हो, पहलवानों को वज़न में कमी लाने के वास्ते 15 मिनट का समय दिया जाता है। तोल प्रक्रिया में, पहलवान चाहे कितनी भी बार मशीन पर चढ़ सकता है।
भिड़न्त वाले खेलों के प्रतिभागी सामान्यतः प्रथम दिन के वज़न के हिसाब से तैयार रहते हैं, इसके लिए वे प्रतियोगिता से पहले के दिनों में भोजन और पानी की मात्रा घटाते हैं या एक वक्त का भोजन नहीं करते। लेकिन इसके चलते उनकी ऊर्जा एवं ताकत भंडार में कमी होती है और भरपाई हेतु उच्च शक्तिवर्धक एवं उच्च प्रोटीन युक्त भोजन और पेय पदार्थ लेते हैं, उदाहरणार्थ, विनेश ने प्रथम दिन की सुबह वज़न तुलवाने के बाद, तकरीबन डेढ़ किलो भोजन ग्रहण किया, जोकि साथ गए पौष्टिकता विशेषज्ञ की गणना और सलाह के अनुसार था। तीन मुकाबलों के दौरान और उनके बाद, शरीर में पानी की अत्यधिक कमी पड़ने से बचाने के वास्ते उसे बहुत कम मात्रा में जल दिया गया। उन दिन की कुश्तियों के बाद भार में लगभग 2 किलो की बढ़ोतरी हुई। विनेश का सामान्य भार 55 किलो है, पर वह निचले वज़न श्रेणी में लड़ रही थी क्योंकि इसमें फायदे का अवसर अधिक था। इससे पहले उसने दो बार विश्व कुश्ती प्रतियोगिता के 53 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीता है, इसके अलावा एशियाई खेलों में भी दो पदक लिए हैं - 2018 में स्वर्ण तो 2014 में कांस्य – ये क्रमशः 51 किलो और 48 किलो वर्ग में थे। जैसे-जैसे पहलवान की उम्र बढ़ती है, वे अलग वज़न श्रेणी को चुनते हैं। इस प्रकार विनेश अपना वज़न घटाती चली आ रही थी।
इस साल फरवरी माह में, कुश्ती प्रतियोगिताओं में वापसी के बाद, उसने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के 55 किलो वर्ग में खिताब जीता। अगले महीनों में, उसने दो श्रेणियों में ताल ठोकी –50 किलो और 53 किलो में– ये एशियन चैम्पियनशिप और एशियन ओलंपिक क्वालीफायर में चयन उत्तीर्ण करने के वास्ते थी। इसमें वह 53 किलो श्रेणी में एक नई महिला पहलवान अंजु से हार गई पर 50 किलो वर्ग में जीत प्राप्त की। अप्रैल में, विनेश ने एशिया ओलंपिक चयन उत्तीर्णता मुकाबले के 50 किलो फाइनल में पहुंचकर ओलंपिक टीम में जगह पक्की कर ली। अलबत्ता ओलंपिक के लिए 53 किलो श्रेणी में युवा महिला पहलवान अंतिम पंघाल चुनी गई। साफ है, पेरिस ओलंपिक से पहले के महीनों में, विनेश ने भारत की ओर से अग्रणी उम्मीद बनने की खातिर अनेक भार वर्ग बदले। युई सुसाकी पर मिली विजय ने पदक की उम्मीद बढ़ा दी। यदि संयोगवश, विनेश अपने सेमीफाइनल मुकाबले में चोटिल हो गई होती और फाइनल न खेल पाती, तो उसे बुधवार की सुबह वजन-जांच में भाग न लेना पड़ता और इस तरह उसे बिना कुश्ती लड़े रजत पदक मिल जाता। विनेश को अयोग्य करार दिए जाने के बाद, भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि भारतीय कुश्ती संघ ने विनेश के अयोग्यता मामले पर संयुक्त विश्व कुश्ती संघ से पुनर्विचार का अनुरोध किया। किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई, होनी भी नहीं थी,क्योंकि विश्व कुश्ती संघ के नियमों में किसी एक प्रतियोगी या राष्ट्र के लिए छूट देना असंभव है, यहां तक कि सिर्फ 10 ग्राम अधिक होने पर भी नहीं, 100 ग्राम तो दूर की बात है। वास्तव में, संयुक्त विश्व कुश्ती संघ चाहता है कि खिलाड़ी अपने नैसर्गिक वज़न वर्ग में लड़ें न कि निचले भार वर्ग में लड़ने की योग्यता बनाने को अप्राकृतिक ढंगों का सहारा लें– जैसा कि इस साल विनेश ने किया, 55 किलो से 53 किलो और अंततः पेरिस ओलंपिक के लिए वजन 50 किलो।
खेल प्रतियोगिता-2024 के 50 किलो वर्ग में चयन योग्यता उत्तीर्ण करने के बाद, विनेश ने अप्रैल माह में कहा था कि बेहतर भार-प्रबंधन हेतु मदद की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि उसे डर था कि शरीर में मांसपेशियों का अनुपात काफी अधिक होने के कारण कहीं वज़न न बढ़ जाए। पेरिस में विनेश का यह सबसे बड़ा डर सच साबित हुआ।

Advertisement

ओलंपिक में हृदय को आघात पहुंचाने वाले इस घटनाक्रम के बाद विनेश फोगाट ने कुश्ती को अलविदा कह दिया। उसने कुश्ती में अयोग्य ठहराए जाने के विरुद्ध खेल अदालत (सीएएस) में अपील भी डाली है जिसमें उसने संयुक्त रूप में रजत पदक पाने की मांग भी रखी। अपनी मां प्रेमलता को संबोधित करते हुए विनेश ने लिखा, ‘मां कुश्ती मेरे से जीत गई और मैं हार गई, माफ करना आपका सपना ओर मेरी हिम्मत सब टूट चुके हैं। अब इससे ज्यादा ताकत नहीं रही। अलविदा कुश्ती 2001-2024’। आप सबकी सदा ऋणी रहूंगी, क्षमा याचक।

लेखक ‘द ट्रिब्यून’ के एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं।

Advertisement

Advertisement