For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

जुगाड़ और भी बहुत चुनावी बॉन्ड के सिवाय

07:13 AM Mar 19, 2024 IST
जुगाड़ और भी बहुत चुनावी बॉन्ड के सिवाय
Advertisement

आलोक पुराणिक

चालू विश्वविद्यालय ने चुनावी बॉन्ड पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इसमें प्रथम पुरस्कार विजेता निबंध इस प्रकार है- चुनावी बॉन्ड एक विकट विषय है, राजनीतिक, ऐतिहासिक, आर्थिक, समाजशास्त्रीय, दर्शन शास्त्रीय टाइप।
चुनावी बॉन्ड में दो शब्द हैं, एक चुनावी और दूसरा बॉन्ड। बॉन्ड कई प्रकार के होते हैं, चुनावी बॉन्ड, रिजर्व बैंक बॉन्ड और जेम्स बॉन्ड। जेम्स वाले बॉन्ड बहुत उछलकूद वाले बॉन्ड होते हैं। पर हर उछलकूद वाला जेम्स बॉन्ड नहीं होता, चुनावी सीजन में बहुत उछलकूद हो रही है। पंजाब से लेकर गुजरात तक नेता इस पार्टी से उस पार्टी में उछलकूद मचा रहे हैं, पर ये नेता ही हैं, जेम्स बॉन्ड नहीं हैं। चुनाव से ताल्लुक जिस बॉन्ड से है, वह है चुनावी बॉन्ड।
बॉन्ड से पैसे मिलते हैं पॉलिटिकल पार्टियों को, पर इसका मतलब यह नहीं है कि पॉलिटिकल पार्टियों को सिर्फ बॉन्ड से ही पैसे मिलते हैं। पॉलिटिकल पार्टियों को, नेताओं को कई तरह से पैसे मिलते हैं। होशियार नेता तो शराब, सड़क और हवा तक से पैसे कमा लेता है, फिर भी चुनावी बॉन्डों से पैसे उगाहने का जुगाड़ भी हाल में किया गया था। चुनावी बॉन्ड कुल मिलाकर राजनीतिक पार्टियों की कमाई का एक जुगाड़ है। राजनीतिक पार्टियों का पहला काम है सरकार बनाना और दूसरा काम है उस सरकार को बचाये रखना। तीसरा और बहुत जरूरी काम यह है कि रकम बटोरी जाये। जेम्स बॉन्ड शोहरत बटोरता था, चुनावी बॉन्ड के जरिये दौलत बटोरी जाती रही है।
बॉन्ड से जुड़ा एक शब्द और बांडिंग। बांडिंग यानी एक-दूसरे से तार कैसे जुड़ते हैं। राजनीतिक बांडिंग बहुत ही फर्जी टाइप का शब्द है। राजनीति में एक ही उसूल है- कुर्सी। कुर्सी हासिल करने में जो भी जरूरी है, उस सबसे टेंपरेरी टाइप कनेक्शन हो सकता है, पर बांडिंग नहीं। कौन से नेता की बांडिंग किसके साथ रहेगी, इस सवाल का जवाब तो खुद नेता के पास नहीं होता, क्योंकि नेता ही को नहीं पता होता कि वह खुद कहां रहेगा। नीतीश कुमार करीब छह महीने पहले ही तेजस्वी यादव के साथ अपनी बांडिंग की बात कर रहे थे, अब देखकर लगता है कि काहे की बांडिंग। चुनाव के ठीक पहले विपक्षी दलों, विपक्षी नेताओं का जो हाल है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि चुनाव आ लिये हैं, पर विपक्षी नेताओं की परस्पर बांडिंग न हो पा रही है।
चुनावी बॉन्ड में एक शब्द है-चुनावी। चुनावी शब्द की ब्यूटी यह है कि इसका ताल्लुक सिर्फ चुनाव से नहीं है। चुनावी तौर तरीके चौबीस घंटे, सातों दिन, 365 दिन ही चलते रहते हैं। नेता हमेशा ही चुनावी मोड में रहते हैं। चुनावी वादे, चुनावी लालच, चुनावी लफड़े, चुनावी झगड़े- यह सब बराबर चलते रहते हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×