मिथक पुरुष के रहस्यमय लोक की यात्रा
सुभाष रस्तोगी
समकालीन साहित्यिक परिदृश्य में जयदेव तनेजा का नाम किसी औपचारिक परिचय का मोहताज नहीं है। हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय और महत्वपूर्ण नाटककार, कथाकार व उपन्यासकार मोहन राकेश के तो जयदेव तनेजा एक सर्वमान्य विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। तनेजा की मोहन राकेश संबंधी कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशित कृतियां हैंmdash;’लहरों के राजहंस : विविध आयाम’, ‘मोहन राकेश : रंग-शिल्प और प्रदर्शन’, ‘मोहन राकेश रचनावली (13 खंड)’, ‘राकेश और परिवेश : पत्रों में’ ‘एकत्र (मोहन राकेश की अप्रकाशित-असंकलित रचनाएं’, ‘नाट्य-विमर्श : मोहन राकेश’ ‘दस प्रतिनिधि कहानियां’ एवं ‘कांपता हुआ दरिया (मोहन राकेश का उपन्यास)।
जयदेव तनेजा की सद्यः प्रकाशित कृति ‘मोहन राकेश अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान’ निस्संदेह एक बड़े अभाव की पूर्ति करती है क्योंकि मोहन राकेश के स्त्रियों (प्रेमिकाओं) से धुंधलके में पड़े संबंधों का एक विहंगम परिदृश्य उपस्थित करती है। जिसमें मोहन राकेश की व्यक्तिगत जीवन में एक बेहद ईमानदार व्यक्ति की छवि उभरकर सामने आती है। अब जानिए लेखक से ही इसकी रचना-प्रक्रिया का मूलभूत सत्य ‘मैंने यहां केवल मोहन राकेश के जीवन के अधूरे रिश्तों की इस दिलचस्प किन्तु उतनी ही दुःखद दास्तान की पूर्व-परिचित ‘कुछ हकीकत, कुछ अफसाना और कुछ तर्जे-बयां’ से निर्मित सम्मोहक छवि में से, स्वयं उन्हीं के कथनों-वक्तव्यों के उद्धरणों के बीच मौजूद ‘अफ़साने’ के हिस्से को, बिना अपनी ओर से कुछ भी जोड़े, घटाए या हटाए, केवल उद्घाटित करके, उसकी हकीकत और तर्जे-बयां वाली वास्तविक तस्वीर पेश करने का प्रयास किया है।’
बकौल जयदेव तनेजा मोहन राकेश केवल इतना ही कहते हैंmdash;’आओ प्यार करें, बिना ये जाने कि प्यार क्या है?’ उनके लिए प्यार सीखने की नहीं, करने की कला है।’ मोहन राकेश के तीन विवाह हुए। जयदेव तनेजा की मानें तो पहला विवाह अहं के टकरावों की त्रासदी था। यहां मोहन राकेश की यह स्वीकारोक्ति काबिलेगौर है, ‘मैं मानता हूं कि मैंने होश-ओ-हवास में घर तोड़े हैं, जो कि हमारे हिन्दू मध्यवर्गीय परिवारों में अक्षम्य है। लेकिन मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो झूठे और सतही रिश्तों को कायम रखते हैं। मैं एक ही समय में लम्पट होकर भी आदर्श पति होने का नाटक नहीं कर सकता।’
यह सही है कि मोहन राकेश के लेखन और उनके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण था कि स्त्रियां स्वयं उनकी ओर आकृष्ट हो जाती थीं। यह कृति इस सत्य की तसदीक करती है कि जब मोहन राकेश जालन्धर में एक कॉलेज में हिन्दी के प्रोफेसर थे, वहां की ‘मुग्धा नायिकाओं’ से उन्हें पीछा छुड़ाना मुश्किल हो गया था। उनकी पहली पत्नी सुशीला से जयदेव तनेजा द्वारा साक्षात्कार के दौरान यह बात सामने आई कि मोहन राकेश सीधे-सादे थे। तिकड़मी नहीं थे। गोटियां बिछाने वाले नहीं थे।
वास्तव में जयदेव तनेजा की सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘मोहन राकेश अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान’ में जीवनी, संस्मरण, साक्षात्कार, इतिहास, आत्मालोचना और किसी हद तक नाटक एवं कथा आदि विधाओं के भी कई तत्व समाहित हैं। इन्हीं के सहारे यह पुस्तक आधुनिक हिन्दी साहित्य और रंगकर्म के सम्मोहक तथा विवादास्पद मिथक पुरुष के व्यक्तित्व के रहस्यमय लोक की अंतर्यात्रा करने का प्रयास करती है।
पुस्तक : मोहन राकेश अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान लेखक : जयदेव तनेजा प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 400 मूल्य : रु. 449.