जजपा को अपनी ‘जन्मस्थली’ और ‘गढ़’ में ही लगा झटका
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 13 जून
2018 में जींद की जिस धरती पर जजपा एक धूमकेतु की तरह चमकी और अस्तित्व में आई थी, उसे लोकसभा चुनाव में जींद जिले में बहुत करारा राजनीतिक झटका लगा है। अपनी ‘जन्मस्थली’ और अपने सबसे मजबूत ‘राजनीतिक गढ़’ रहे जींद में जजपा के लिए अपना राजनीतिक घर फिर से संभालता बेहद मुश्किल चुनौती नजर आ रहा है। विधानसभा चुनाव में जजपा के पास जींद में राजनीतिक वापसी का मौका होगा, लेकिन उसकी डगर इतना आसान नहीं रहने वाली।
पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो से अलग होकर अजय चौटाला ने अपने बेटे दुष्यंत चौटाला, पत्नी नैना चौटाला के साथ मिलकर जजपा बनाई थी। जजपा का ऐलान 9 दिसंबर, 2018 को बड़ी रैली से हुआ था। दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा ने अपना पहला विधानसभा चुनाव भी जनवरी 2019 में जींद से ही लड़ा था। इसमें जजपा के समर्थन से दिग्विजय चौटाला ने बीजेपी के डॉ़ कृष्ण मिड्ढा को कड़ी चुनौती दी। दिग्विजय चुनाव 12 हजार मतों से हार गए लेकिन वे कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सुरजेवाला को तीसरे पायदान पर धकेलने में सफल रहे।
जींद उप चुनाव में भले ही जजपा की हार हुई, मगर उसने खुद को पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ़ देवीलाल के राजनीतिक वारिस के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया था। इनेलो प्रत्याशी उमेद रेढू तो जींद उपचुनाव में अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। उन्हें महज 3200 वोट मिली थी। कांग्रेस के बहुत बड़े चेहरे रणदीप सुरजेवाला को भी जींद उपचुनाव में अपनी जमानत बचाने के लाले पड़ गए थे और वह मुश्किल से जमानत बचा पाए थे। इसके बाद जजपा ने जींद में पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा ने जींद जिले की 5 में से 3 विधानसभा सीटों नरवाना, उचाना और जुलाना में जीत दर्ज की थी, जबकि जींद विधानसभा सीट पर उसके प्रत्याशी महावीर गुप्ता ने बीजेपी के डॉ. कृष्ण मिड्ढा को कड़ी टक्कर दी थी। दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से बीजेपी की प्रेमलता को लगभग 48000 मतों के अंतर से पराजित कर गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम बने थे। जजपा की 2019 में जो 10 सीट आई थी, उनमें से 3 जींद जिले से थी। डिप्टी सीएम रहते दुष्यंत चौटाला ने जींद को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि और अपनी पार्टी की जन्मस्थली बनाया। जींद में ही उन्होंने पार्टी का राज्य स्तर का दफ्तर स्थापित किया।
उचाना में पांच हजार वोट भी नहीं
दुष्यंत चौटाला की माता व बाढ़डा विधायक नैना सिंह चौटाला ने हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा। इस पार्लियामेंट के अंतर्गत आने वाले उचाना हलके (दुष्यंत यहीं से हैं विधायक) से पांच हजार वोट भी नहीं मिल पाए। 2019 में दुष्यंत ने इस हलके से भाजपा की प्रेमलता को 48 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। वहीं जुलाना से जजपा विधायक अमरजीत सिंह ढांडा के हलके से पार्टी के सोनीपत प्रत्याशी रहे भूपेंद्र सिंह मलिक को महज 1356 वोट मिले। सिरसा पार्लियामेंट में शामिल नरवाना में भी जजपा के रामनिवास सुरजाखेड़ा विधायक हैं लेकिन यहां से जजपा प्रत्याशी को मात्र 3 हजार वोट मिले। इसी तरह की स्थिति जींद और सफीदों विधानसभा क्षेत्र में भी जजपा की रही है।
विधानसभा चुनाव में फिर मिलेगा मौका
जजपा को जींद जिले के अपने पुराने गढ़ में राजनीतिक वापसी का मौका लगभग 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में मिलेगा, लेकिन राजनीतिक वापसी की उसकी डगर इतनी आसान नहीं होगी। अब जींद जिले में राजनीतिक हालात लोकसभा चुनाव के बाद पूरी तरह से बदल चुके हैं। लोकसभा चुनाव के जींद जिले के नतीजों पर नजर डाली जाए तो इसमें कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है। जजपा, इनेलो और बसपा पूरी तरह से साफ हो गए हैं। नरवाना के जजपा विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा पहले ही पार्टी नेतृत्व से बगावत किए हुए हैं। इन हालात में जजपा के लिए जींद में 4 महीने में राजनीतिक वापसी की डगर काफी मुश्किल रहेगी।
'' चौधरी देवीलाल और दुष्यंत चौटाला के वर्कर हार से घबराने वाले नहीं हैं। राजनीति में हार-जीत होती रहती है। विधानसभा चुनाव में जींद जिले में जजपा फिर जोरदार वापसी करेगी। विधानसभा चुनाव के नतीजे लोकसभा चुनावों से एकदम अलग होंगे और जजपा जींद में फिर सबसे बड़ी पार्टी होगी।
-कृष्ण राठी, जजपा जिलाध्यक्ष