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चुनावी हिंसा से ‘दागदार’ रहा जींद, इस बार शांति बनाने की मुहिम

10:16 AM Apr 25, 2024 IST
चुनावी हिंसा से ‘दागदार’ रहा जींद  इस बार शांति बनाने की मुहिम
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जसमेर मलिक/हमारे प्रतिनिधि
जींद, 24 अप्रैल
अतीत में चुनावी हिंसा के जो दाग जींद जिले के दामन पर पड़ते रहे हैं, इस बार ऐसे दाग जींद के दामन पर नहीं पड़ें। इसके लिए जींद प्रशासन उन विधानसभा क्षेत्रों की पहचान कर रहा है, जिनमें चुनावी ज्वर सबसे तेज होने की संभावना है। ऐसे विधानसभा क्षेत्रों के उन गांवों की सूची बनाई जा रही है, जहां चुनावी हिंसा की आशंका है। साथ ही, उन गांवों की सूची तैयार हो रही है, जिन गांवों में अतीत में चुनावी हिंसा हुई है। जींद जिले में अतीत में कई बार बड़ी चुनावी हिंसा हुई हैं। प्रदेश में जब भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव होते हैं, तब जींद में राजनीतिक पारा प्रदेश के दूसरे जिलों से कहीं ज्यादा उबाल पर रहता है। इसकी वजह यह है कि जींद हरियाणा की राजनीति को 1986 से अब तक नई दिशा देता आया है। सत्ता के लिए विभिन्न दलों और उनके नेताओं ने समय-समय पर जींद की धरती का ही सहारा लिया है। जींद जिले के इसी राजनीतिक टेम्परामेंट के कारण जींद में कई बार बड़ी चुनावी हिंसा हुई है। जींद जिले का दामन चुनावी हिंसा से दागदार होना 1989 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ था। 1989 के लोकसभा चुनाव में हिसार से कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह और चौ़ देवीलाल के जनता दल के जयप्रकाश ‘जेपी’ के बीच कड़ा मुकाबला था। जनता दल के जेपी ने कड़े मुकाबले में कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह को पराजित किया था। 1989 के लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन जींद शहर में जमकर हिंसा हुई थी। कई गाड़ियों में आग लगा दी गई थी। मारपीट से लेकर फायरिंग तक की वारदात मतदान के दिन हुई थी।
इसके बाद 1996 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जींद के नरवाना में जबरदस्त चुनावी हिंसा हुई थी। इसमें सीआरपीएफ का एक कर्मचारी गोली लगने से घायल हो गया था। जवाबी कार्रवाई में सीआरपीएफ ने जबरदस्त लाठीचार्ज किया था और फायरिंग की थी। तब नरवाना में हरियाणा विकास पार्टी के प्रत्याशी जयप्रकाश उर्फ जेपी और लोकदल के अजय चौटाला समर्थकों के बीच खूनी टकराव हुआ था। बाद में इस मामले में अजय चौटाला, डॉ़ केसी बांगड़ समेत कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में बंद किया था। 2005 के विधानसभा चुनाव में नरवाना में पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला के समर्थकों के बीच भी जबरदस्त तनाव पैदा हुआ था। तब नरवाना में केंद्रीय बलों की विशेष रूप से तैनाती की गई थी। 2009 के विधानसभा चुनाव में जींद में हिंदू कन्या कॉलेज के मतदान केंद्र के बाहर तत्कालीन परिवहन मंत्री मांगेराम गुप्ता और इनेलो प्रत्याशी डॉ़ हरिचंद मिड्ढा के समर्थक आपस में टकरा गए थे। यहां पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। कुछ घरों में आग लगाने से लेकर तोड़फोड़ तक की वारदात हुई थी।
2019 के विधानसभा चुनाव में उचाना कलां के डूमरखां गांव में जेजेपी प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला और भाजपा प्रत्याशी प्रेमलता के समर्थकों के बीच बड़ा खूनी टकराव होते-होते रह गया था। मतदान केंद्र पर दुष्यंत चौटाला तब सैकड़ों लोगों की उग्र भीड़ से घिर गए थे। मौके पर समय रहते तत्कालीन डीसी डॉ़ आदित्य दहिया और एसपी अश्विन शैणवी ने पहुंचकर हालात नहीं संभाले होते, तो यहां बहुत बड़ा कांड तय था। इससे पहले जनवरी 2019 में हुए जींद उपचुनाव के समय भी अर्जुन स्टेडियम के मतगणना केंद्र के बाहर चुनावी हिंसा हुई थी।

 इस बार की गई माइक्रो प्लानिंग

जींद जिले का चुनावी हिंसा वाला अतीत 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में किसी भी कीमत पर नहीं दोहराया जाए, इसके लिए जींद प्रशासन ने कमर कस ली है। प्रशासन उन गांवों की सूची तैयार करवा रहा है, जिनमें अतीत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में किसी भी तरह की हिंसा हुई है। जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों के उन तमाम गांवों की सूची तैयार करवाई जा रही है, जिनमें अतीत में किसी भी तरह की छोटी या बड़ी चुनावी हिंसा हुई है। ऐसे सभी गांव प्रशासन के राडार पर हैं। इनमें चुनाव के दिन पैरा-मिलिट्री फोर्स की विशेष तैनाती होगी। फ्लैग मार्च निकालने से लेकर ग्रामीणों को शांतिपूर्ण चुनावों में सहयोग के लिए समझाने तक के सभी कदम उठाए जाएंगे।
-मोहम्मद इमरान रजा, जिला निर्वाचन अधिकारी।
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