Jind News : जींद के डीएसपी से सिरसा में बीजेपी नेता द्वारा माफी मंगवाने का जींद में विरोध, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
03:37 PM May 01, 2025 IST
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जसमेर मलिक/जींद, 1 मई (हमारे प्रतिनिधि)
Jind News : हरियाणा के सिरसा में साइक्लोथॉन रैली के दौरान पूर्व राज्यपाल प्रो गणेशी लाल के बेटे को मंच से हटाने के बाद जींद के डीएसपी से माफी मंगवाने पर बवाल खड़ा हो गया है। इस मसले पर जींद में पुलिस कर्मचारी एसोसिएशन, कर्मचारियों और किसानों ने लघु सचिवालय के बाहर धरना दिया। धरने के बाद एसडीएम को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।
पुलिस कर्मचारी एसोसिएशन ने कहा कि डीएसपी से वर्दी में माफी मंगवाना और बाद में इसकी वीडियो वायरल करना वर्दी का अपमान और लोकतंत्र का हनन है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने सीएम से पूरे मामले में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। पुलिस कर्मचारी एसोसिएशन के आजाद पालवां, प्रेम सिंह बांगड़ ने कहा कि डीएसपी उस दिन सीएम ड्यूटी पर थे।
उनसे इस तरह सत्ता के धौंस में माफी मंगवाना और डीएसपी के माफी मांगने की वीडियो वायरल करवाना कानून के रखवाले अधिकारी और वर्दी का बहुत बड़ा अपमान है। यह पूरे पुलिस महकमे का अपमान है। इससे समाज में जंगल राज का संदेश गया है। यह लोकतंत्र का हनन भी है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और डीएसपी से माफी मनवाने वालों और इसकी वीडियो वायरल करने के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह था पूरा मामला
27 अप्रैल को सिरसा में नशा मुक्त हरियाणा कार्यक्रम के तहत साइक्लोथॉन रैली का आयोजन किया गया था। इसमें सीएम नायब सिंह सैनी भी पहुंचे थे। जब ओडिशा के पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल के बेटे भाजपा मनीष सिंगला मंच के पास खड़े थे, तभी ड्यूटी पर तैनात जींद के डीएसपी जितेंद्र राणा वहां आए और सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए मनीष सिंगला तथा उनके साथ खड़े युवकों को वहां से हटने के लिए कहा। मनीष सिंगला ने अपना आईडी कार्ड दिखाने की कोशिश की, लेकिन डीएसपी ने नहीं देखा और उन्हें वहां से दूर कर दिया।
इसके अगले ही दिन इसकी वीडियो वायरल हो गई, तो भाजपा नेताओं ने डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विवाद बढ़ने पर डीएसपी राणा ने सिरसा के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में सिंगला से मुलाकात की और घटना पर खेद जताया था। डीएसपी जितेंद्र राणा ने कहा था कि वह उन्हें पहचान नहीं पाए थे। उनका किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाने का कोई मकसद नहीं था। भाजपा नेताओं ने इस वीडियो को सार्वजनिक करते हुए वायरल कर दिया था। इसके बाद विपक्ष ने भी सरकार पर जमकर निशाना साधा और इसे वर्दी का अपमान करार दिया।
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