Jind News: जींद जिला परिषद की बैठक फिर स्थगित, चेयरपर्सन विरोधी गुट के पास नहीं दो-तिहाई बहुमत
जसमेर मलिक/हप्र, जींद, 22 जनवरी
Jind News: जींद जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ उनके विरोधी गुट के अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर बुधवार को बुलाई गई जिला परिषद की विशेष बैठक एक बार फिर प्रशासनिक कारणों से स्थगित कर दी गई।
बैठक के इस तरह दूसरी बार स्थगित होने को चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के विरोधियों को राहत देने के रूप में लिया जा रहा है। दूसरी तरफ चेयरपर्सन मनीषा रंधावा और उनके प्रतिनिधि कुलदीप रंधावा ने कहा कि वह फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा फिलहाल भाजपा की सदस्य हैं। उन्होंने भाजपा की सदस्यता पिछले साल ली थी, जबकि लगभग 2 साल पहले जब वह जिला परिषद चेयरपर्सन बनी थी, तब वह और उनके पति कुलदीप रंधावा दोनों जेजेपी में थे।
मनीषा रंधावा के खिलाफ उनके विरोधियों ने पिछले साल 2 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस डीसी मोहम्मद इमरान रजा को सौंपा था। इस पर विचार के लिए डीसी ने जिला परिषद की विशेष बैठक 13 दिसंबर को बुलाई थी, लेकिन उस दिन डीसी के आकस्मिक अवकाश पर चले जाने के कारण बैठक स्थगित हो गई थी।
हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद बुलाई गई थी बैठक
बुधवार को जिला परिषद की विशेष बैठक चेयरपर्सन मनीषा रंधावा द्वारा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाये जाने के बाद बुलाई गई थी। मनीषा रंधावा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके खिलाफ विरोधी गुट के अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर 13 दिसंबर की विशेष बैठक स्थगित होने के बाद दोबारा बैठक की तारीख निर्धारित नहीं की जा रही।
चेयरपर्सन ने विशेष बैठक जल्द बुलाने का अनुरोध किया था। इस पर हाई कोर्ट ने डीसी को नियमों के अनुसार विशेष बैठक बुलाने के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट के आदेशों पर डीसी ने बुधवार को जिला परिषद की विशेष बैठक बुलाई थी, लेकिन इसे प्रशासनिक कारणों से फिर रद्द कर दिया गया।
विरोधी गुट नहीं पहुंचा बैठक के लिए, चेयरपर्सन डटी रही मोर्चे पर
जिला परिषद की विशेष बैठक जिस विरोधी गुट के अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर बुलाई गई थी, वह विरोधी गुट बुधवार को भी बैठक में भाग लेने के लिए जिला परिषद हाल में नहीं पहुंचा, जबकि चेयरपर्सन मनीषा रंधावा और उनके पति कुलदीप रंधावा दोनों अपनी तरफ से यहां मोर्चे पर डटे रहे।
विरोधी गुट के पास चेयरपर्सन के खिलाफ अपने अविश्वास प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए जरूरी दो- तिहाई पार्षदों का समर्थन नहीं है। मनीषा रंधावा को कुर्सी से हटाने के लिए उनके विरोधियों को कम से कम 17 जिला पार्षदों का समर्थन चाहिए, जबकि मनीषा रंधावा को कुर्सी बचाने के लिए केवल 9 पार्षदों की जरूरत है, और उनके खेमे में 12 पार्षद बताए जा रहे हैं। इसी कारण विरोधी गुट मुंह दिखाने की स्थिति में नहीं है।