जींद : सरसों की खरीद नाममात्र, नहीं मिल रहा एमएसपी
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 2 अप्रैल
जींद की नयी अनाज मंडी में सरसों की आवक जोर पकड़ चुकी है, मगर इसकी एमएसपी पर सरकारी खरीद नहीं हो रही। दूसरी तरफ गेहूं की आवक सिर पर है, लेकिन मंडी में अभी तक किसानों के रात को रुकने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। मंडी के शौचालय इतने गंदे हैं कि उनका इस्तेमाल संभव नहीं। अनाज मंडी के पुराने शेड बदलने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। इस तरह के आधे - अधूरे इंतजामों के बीच मंडी में गेहूं की खरीद होगी।
रोहतक रोड स्थित जींद की नई अनाज मंडी में पिछले कई दिनों से सरसों की आवक जारी है। अब गर्मी बढ़ने के साथ सरसों की आवक जोर पकड़ गई है। इस समय अनाज मंडी में हर रोज लगभग 3000 बोरी सरसों की आवक हो रही है। केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन जींद के नई अनाज मंडी में ज्यादातर किसानों को निजी व्यापारी को अपनी सरसों 4800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव बेचनी पड़ रही है। इससे ज्यादा रेट पर निजी ट्रेडर्स सरसों खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं। जहां तक सरकारी खरीद की बात है तो अभी तक जींद की नई अनाज मंडी में सरसों की सरकारी खरीद नहीं के बराबर हुई है। जींद मार्केट कमेटी के आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो अभी तक मंडी में सर्दी की सरसों की सरकारी खरीद मुश्किल से हो पाई है। मंडी में सरसों लेकर आने वाले किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों नहीं बिकने से बेहद निराश और नाराज हैं। हालत यह है कि जिन किसानों ने मेरी फसल, मेरा ब्योरा पोर्टल पर सरसों की फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है, अभी तक उसका सत्यापन भी नहीं हो पाया है। यह सरसों उत्पादक किसानों की परेशानी को और बढ़ा रहा है। जजपा जींद हलका प्रधान सुनील कंडेला के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की सरकारी खरीद नहीं हो रही। दूसरी तरफ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष फूल सिंह श्योकंद ने कहा कि सरकार को मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की फसल के एक-एक दाने की खरीद को सुनिश्चित करना चाहिए।
अधूरे इंतजामों के बीच शुरू होगी गेहूं की खरीद
जींद की अनाज मंडी में गेहूं की आवक अगले 10 दिन में शुरू होने की संभावना है। इस बार मार्च के अंत तक मौसम में ठंड रहने के कारण गेहूं की आवक कुछ देरी से हो रही है। गेहूं की आवक शुरू होने से पहले मार्केट कमेटी प्रशासन अनाज मंडी में किसानों के लिए मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम नहीं कर पाया है। नई अनाज मंडी के टॉयलेट इतने गंदे हैं कि उनका इस्तेमाल तो दूर, उनकी तरफ झांकना भी मुमकिन नहीं है। लंबे समय से टॉयलेट्स की सफाई नहीं हुई है। इनमें पानी आदि की व्यवस्था भी नहीं है। इसके अलावा अनाज मंडी के दोनों पुराने शेड पिछले साल हटाकर उनकी जगह नए शेड लगाने का काम शुरू हुआ था। लगभग 3 करोड़ की लागत से नए शेड लगाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। इस कारण किसानों को खुले आसमान के नीचे गेहूं की अपनी फसल डालनी होगी। अगर इंद्र देवता का मूड बदला तथा बारिश हुई, तो किसानों का पीला सोना अनाज मंडी में पानी -पानी हो जाएगा। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने मार्केट कमेटी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि मंडी में उन किसानों के रात्रि ठहराव की व्यवस्था की जाए, जो गेहूं बेचने के लिए मंडी में आएं हों, और अपने घर नहीं पहुंच सकते। अभी तक मंडी में ऐसे किसानों के रात्रि विश्राम की कोई व्यवस्था मार्केट कमेटी प्रशासन नहीं कर पाया है।