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Jammu and Kashmir elections: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी महबूबा मुफ्ती, बताई वजह

04:23 PM Aug 28, 2024 IST
jammu and kashmir elections  जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी महबूबा मुफ्ती  बताई वजह

श्रीनगर, 28 अगस्त (भाषा)

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Jammu and Kashmir elections: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री बन भी गईं तो भी वह केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पार्टी का एजेंडा पूरा नहीं कर पाएंगी।

उन्होंने कहा, 'मैं भाजपा के साथ एक सरकार की मुख्यमंत्री रही हूं जिसने (2016 में) 12,000 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी वापस ले ली थी। क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं? मैंने (प्रधानमंत्री) मोदी के साथ सरकार की मुख्यमंत्री के रूप में अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने के लिए एक पत्र लिखा था। क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? मैंने जमीनी स्तर पर संघर्ष विराम (लागू) करवाया। क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? अगर आप मुख्यमंत्री के तौर पर प्राथमिकी वापस नहीं ले सकते, तो ऐसे पद का क्या मतलब है?'

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पीडीपी अध्यक्ष से पूछा गया था कि क्या चुनाव लड़ने को लेकर उनका इरादा बदला है, क्योंकि उनके धुर विरोधी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक चुनाव में भाग नहीं लेने के अपने रुख से पलटी मार ली है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'उमर ने खुद कहा कि चपरासी के तबादले के लिए उन्हें (लेफ्टिनेंट) गवर्नर के दरवाजे पर जाना पड़ेगा। मुझे चपरासी के तबादले की चिंता नहीं है, लेकिन क्या हम अपना एजेंडा लागू कर सकते हैं?'

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लेने का संकल्प व्यक्त किया था लेकिन मंगलवार को पार्टी द्वारा घोषित 32 उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम भी शामिल था। पूर्व मुख्यमंत्री गांदेरबल से चुनाव लड़ेंगे, जहां से उन्होंने 2008 में जीत हासिल की थी। जम्मू-कश्मीर चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि दोनों पार्टियां हमेशा सत्ता के लिए एक साथ आती हैं।

उन्होंने कहा, 'जब हमने 2002 में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, तो हमारा एक एजेंडा था। हमने सैयद अली गिलानी को जेल से रिहा करवाया था। क्या आप आज ऐसा करने के बारे में सोच सकते हैं? जब हमने 2014 में भाजपा सरकार के साथ गठबंधन किया था, तो हमारे पास गठबंधन का एक एजेंडा था, जिसमें हमने लिखित में कहा था कि अनुच्छेद 370 को छुआ नहीं जाएगा, आफ्स्पा को निरस्त किया जाएगा, पाकिस्तान और हुर्रियत के साथ बातचीत की जाएगी, बिजली परियोजनाओं को वापस लाया जाएगा, आदि। हमारा एक एजेंडा था। हालांकि, जब कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन बनाते हैं, तो यह सत्ता के लिए होता है।'

बारामुला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल राशिद और वरिष्ठ अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को चुनाव से पहले जेल से रिहा किए जाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी बात होगी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह उन कम चर्चित लोगों को भी रिहा करने पर विचार करे जो जमानत के हकदार हैं लेकिन उन्हें इससे वंचित रखा गया है।

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