Jalandhar History : आखिर कैसे पड़ा पंजाब के शहर जालंधर का नाम? भगवान शिव से गहरा कनेक्शन
चंडीगढ़, 12 दिसंबर (ट्रिन्यू)
भारत के उत्तर में बसा पंजाब अपने भव्य गुरुद्वारों, सिख धर्म, कारखानों और खेतों के लिए लोकप्रिय है। मगर, आज हम आपको पंजाब के जालंधर शहर के बारे में बताएंगे। अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाने वाला जालंधर एक खूबसूरत शहर है और उतनी ही दिलचस्प है इसके नाम की कहानी। चलिए आपको बताते हैं कि पंजाब के इस पुराने शहर का नाम आखिर कैसे पड़ा जालंधर...
इस शहर के नाम को लेकर अलग-अलग कहानियां प्रचलित है। लोक कथाओं के अनुसार, जालंधर का अर्थ जल के अंदर है। चूंकि यहां ब्यास और सतलुज नदी का संगम होता है इसलिए इस शहर का नाम जालंधर पड़ गया। ब्रिटिश भारत में इस शहर को जुलूंधुर कहा जाता था।
जालंधर का पौराणिक इतिहास
वहीं, पौराणिक कथाओं की मानें तो जालंधर शहर का नाम एक दानव के नाम पर पड़ा, जिसका उल्लेख पुराणों और महाभारत में मिलता है। श्रीमद्मदेवी भागवत पुराण के अनुसार, असुर जलंधर शिव का अंश था। वह देवराज इंद्र को पराजित करके तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा। वह अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण पराजित नहीं हो पा रहे थे।
तब जलंधर का अंत करने के लिए देवताओं ने मिलकर योजना बनाई। भगवान विष्णु जलंधर का वेष धारण करके वृंदा के पास गए और वह उन्हें अपना पति समझ वैसा व्यवहार करने लगी। इससे वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट गया और शिव ने जलंधर का वध कर दिया, जिनके नाम पर इस शहर का नाम जालंधर पड़ गया।
वहीं, सतीत्व भंग होने के बाद वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उनकी राख से एक पौधा जन्मा, जिसे तुलसी कहा जाता है। जिनका मंदिर आज भी मोहल्ला कोट किशनचंद में स्थित है। मान्यता है कि यहां मौजूद प्राचीन गुफा हरिद्वार तक जाती थी।
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