चरखी दादरी में जेलर और डॉक्टर आमने-सामने
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चरखी दादरी, 18 सितंबर
सुनील सांगवान अपने पिता व पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान के व्यवहार, भाजपा के काम और भूतपूर्व सीएम चौ. बंसीलाल के नाम के साथ मैदान में डटे हैं। सुनील की तरह ही मनीषा सांगवान का भी यह पहला चुनाव है। दोनों युवा चेहरे एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। इस हलके में सैनिकों व पूर्व सैनिकों की भी बहुतायत है। सुनील सांगवान का भले यह पहला चुनाव हो, लेकिन वह पिता के चुनावी अभियान में सक्रिय रहे हैं।
दूसरी ओर, पिछले छह-सात वर्षों से हलके में राजनीतिक तौर पर एक्टिव मनीषा सांगवान को हुड्डा के प्रभाव का फायदा मिल सकता है। कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जाट बाहुल्य इस निर्वाचन क्षेत्र में कई जाट उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं। इनेलो टिकट पर यहां से विधायक रह चुके राजदीप सिंह फोगाट इस बार जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं।
इनेलो व बसपा के गठबंधन प्रत्याशी आनंद सिंह श्योराण के अलावा आम आदमी पार्टी के धनराज सिंह कुंडू भी मैदान में डटे हैं। कांग्रेस से बागी होकर अजीत सिंह फोगाट भी चुनावी गणित को गड़बड़ाने की फिराक में हैं। वहीं ब्राह्मण प्रत्याशी के तौर पर भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे संजय छपारिया यहां भाजपा की चुनौतियां बढ़ाने की कोशिश में हैं। वैसे हालात सीधी टक्कर के ही दिख रहे हैं। पिछड़ा वर्ग के अलावा राजपूत, ब्राह्मण, बनिया और पंजाबी वोट बैंक से भाजपा को बड़ी उम्मीद है। पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान द्वारा लगातार सक्रिय रहना और लोगों की समस्याओं के लिए आवाज उठाते रहना भी भाजपा के लिए ‘प्लस प्वाइंट’ हो सकता है। इस बीच, बुधवार को रोहतक से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दादरी में मनीषा सांगवान के चुनाव प्रचार की कमान संभाली। यहां के बड़े गांव रानीला में उन्होंने जनसभा की।
यहां प्रदेश को मुख्यमंत्री मिला
चरखी दादरी विधानसभा क्षेत्र ने हरियाणा को मुख्यमंत्री भी दिया है। भूतपूर्व सीएम चौ. हुकम सिंह लगातार तीन बार दादरी से विधायक रहे। वर्ष 1977 में उन्होंने पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने 1982 और 1987 में लोकदल के सिम्बल पर जीत हासिल की। देवीलाल सरकार में जब कई बार मुख्यमंत्री बदले गए तो उस समय मास्टर हुकम सिंह भी हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।
चांदू दास पर चढ़ती है शराब और गुड़
बौंद कलां, बौंद खुर्द और रणकौली गांवों के केंद्र में स्थित बाबा चांदू दास के मंदिर के प्रति लोगों की आस्था है। सेना में सेवाएं देने वाले चंद्र दास ‘चांदू दास’ अचानक अध्यात्म की दुनिया में चले गए। आर्मी छोड़कर वे बौंद गांव आए। इसके बाद बवानीखेड़ा में भी गए। दोनों ही जगहों पर उनके मंदिर भी हैं। चांदू दास मंदिर पर श्रद्धालुओं द्वारा शराब और गुड़ चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बाबा चांदू दास के प्रभाव की वजह से सैनिक विजयी होते हैं। दादरी से चुनाव लड़ने वाले नेता सबसे पहले यहां मत्था टेकते हैं।