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नई ऊर्जा का संचार करे  बदलाव का समय

09:08 AM Oct 21, 2024 IST

राजेंद्र कुमार शर्मा
भारतीय भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियां किसी दैवीय वरदान और आशीर्वाद से कम नहीं हैं। भूमध्य रेखा के करीब और उस पर बसे देश सदा ही सूर्य की तीक्ष्ण किरणों का सामना करने को मज़बूर हैं। दूसरी ओर, अधिकांश पश्चिमी देश जहां लोगों को कई दिनों तक सूर्य देव के दर्शन भी दुर्लभ हो जाते हैं। भारत को प्रकृति सभी ऋतुओं का आशीर्वाद प्रदान किया है। हम भारतीय वर्षभर में छह ऋतुओं का आनंद उठाते हैं : वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत। हर ऋतु में एक अलग ही आनंद और उत्साह लोगों में देखने को मिलता है। ग्रीष्म ऋतु में खूब गर्मी होती है, तो वर्षा में झमाझम पानी बरसता है और शिशिर में कंपकपाने वाली ठंड भी खूब पड़ती है। तीन मुख्य ऋतुओं को जोड़ने वाली हेमंत, वसंत और शरद, दो-दो ऋतुओं का आनंद एक साथ प्रदान करती हैं। इसीलिए शास्त्रों में भारतीय धरा को देव धरा माना गया है।

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हिंदू पंचांग अनुसार
हेमंत ऋतु, शीत ऋतु का स्वागत करती है। हिंदू कैलेंडर में वर्णित छह ऋतुओं में से एक है, जो सूर्य की स्थिति पर आधारित है। इस अवधि के दौरान, मीठी, सुखद ठंड की स्थिति बनी रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हेमंत ऋतु ‘मार्गशीर्ष’ और ‘पौष’ मास के दौरान आती है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हेमंत ऋतु वास्तव में वर्ष का सबसे सुखद और आनंददायक समय है। हेमंत ऋतु वह ऋतु है जो शरद (शरद ऋतु) और शिशिर (सर्दियों) के बीच आती है। इस मौसम में शरद ऋतु से सर्दियों का आगाज़ होता है, साथ ही तापमान अपनी न्यूनता की ओर अग्रसर हो जाता है। अक्तूबर और नवंबर हेमंत के महीने हैं। इस समय के दौरान अनुभव किए जाने वाले उत्सव की भावना को बढ़ाने के लिए मौसम सबसे अनुकूल है। हेमंत ऋतु को सर्दियों पूर्व मौसम माना जाता है, जिसमें शीतलता के साथ शुष्कता रहती है।

आध्यात्मिकता से ओतप्रोत
हेमंत ऋतु को पितरों को समर्पित ऋतु भी माना गया है। इस ऋतु में प्रातःकाल जल्दी उठकर, स्नानादि से निवृत्त होकर, पूजा-पाठ करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिषविदों के मतानुसार, हेमंत काल में सूर्य की स्थिति वृश्चिक और धनु राशि में रहती है। खगोलीय और ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार, सूर्य की यह स्थिति परोपकार और आध्यात्मिक विचारों को प्रबल बनाती है। इस शीतल काल में मन-मस्तिष्क शांत और प्रसन्नचित रहता है, जिसके कारण प्रभु ध्यान और मनन का माहौल निर्मित होता है।

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स्वास्थ्य प्रदान
हेमंत ऋतु वर्षा के बाद और शिशिर से पूर्व का मौसम है, जिसमें ठंडी पवन और सूर्य का पूरा प्रकाश प्राप्त होता है। दोनों ही स्वास्थ्यवर्धक तत्व हैं। ताज़ी हवा शरीर में ताजगी और स्फूर्ति का संचार करती है। सूर्य का प्रकाश रोगनाशक तत्व के रूप में मदद करता है। इस मौसम में पाचन तंत्र अच्छे से कार्य करता है, जिसके कारण पाचन शक्ति बढ़ती है और हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं, वह शरीर को लगता है और शरीर को ताकत मिलती है। सूर्य के मंगल और बृहस्पति राशियों में आगमन जठराग्नि को बढ़ाकर, भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न करता है। इस मौसम में सूर्य दक्षिणायन रहता है और हेमंत ऋतु की समाप्ति के साथ ही सूर्य की स्थिति उत्तरायण होनी शुरू हो जाती है।

कब शुरू होगी
हिंदू पंचांग के अनुसार, सौर हेमंत ऋतु का प्रारंभ 23 अक्तूबर, बुधवार से होगा और समापन शिशिर आरंभ के साथ 21 दिसंबर शनिवार को होगा। हिंदू संस्कृति में ऋतु परिवर्तन और ऋतुओं का विशेष महत्व है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ते तापमान में हेमंत और शिशिर जैसे सुहावने, मध्यम से तीव्र ठंडे मौसम की अपनी एक अलग ही विशेषता है।

हेमंत ऋतु

हेमंत ऋतु में ताज़ी हवा और सूर्य की रोशनी हमारे मन और शरीर को ऊर्जा देती है। हेमंत ऋतु में पितरों को श्रद्धांजलि देने का विशेष महत्व है, जिससे हमें उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। यह मौसम उत्सवों और पर्वों के लिए भी अनुकूल होता है, जो मन में खुशी और उल्लास का संचार करता है। इस प्रकार, हेमंत ऋतु जीवन में नई ताज़गी और सकारात्मकता लेकर आती है।

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