इटली का सपना...लेकिन अब कभी न होगी टोनी की घर वापसी!
अदिति टंडन/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 22 अगस्त
यह टोनी के मरने का समय नहीं था, लेकिन निश्चय ही गत फरवरी में जब 21 साल के इस लड़के ने इटली में अपने सपने पूरे करने के लिए पंजाब में अपने रिश्तेदारों को अलविदा कहा था तो उसे जरा भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि उसके भाग्य में क्या लिखा है। टोनी पंजाब और हरियाणा के युवाओं के समूह का हिस्सा था, जिन्हें इटली में नौकरी का वादा किया था, लेकिन दुबई में एजेंटों ने उन्हें लीबिया के मानव तस्करों को बेच दिया। उन्हें अवैतनिक काम के लिए मजबूर किया और तब तक अमानवीय हाल में रखा जब तक कि उनमें से 17 भाग नहीं गए, लेकिन टोनी भाग्यशाली लोगों में से नहीं था। मई की शुरुआत में, उसके पिता, जो पंजाब के एसएएस नगर में दिहाड़ी मजदूर हैं, को टोनी की मौत की दुखद खबर मिली। तब से परिवार अपने बच्चे के पार्थिव शरीर को पाने के लिए इंतजार कर रहा है।
टोनी के चाचा बृज लाल ने आज ‘ट्रिब्यून’ को बताया, ‘कुछ साफ नहीं है कि शव कब आएगा। यह मई से लीबिया के बेंगाजी में एक शवगृह में पड़ा हुआ है।’ इटली के रास्ते दुबई में उतरने के बाद कई दिनों तक टोनी की कोई खबर नहीं आई। हालांकि ट्यूनिस में भारतीय मिशन और पंजाब के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत साहनी की टीम की मदद से लीबियाई माफिया से बचकर आए 17 भारतीय लड़कों की पहचान की जाने लगी थी। साहनी ने ही गत रविवार को इन लड़कों की दिल्ली वापसी में सहायता की। बृज लाल ने कहा, ‘हमें बहुत बाद में पता चला कि लीबियाई माफिया से भागते समय, टोनी भारतीय समूह से अलग हो गया था और बेंगाजी में एक निर्माणाधीन इमारत में कुछ पाकिस्तानी लड़कों के पास पहुंच गया था। जब एक दिन इमारत पर माफिया ने छापा मारा तो लड़के भाग गए। सात फीट ऊंची खिड़की से कूदने की कोशिश में टोनी के सिर में चोट लगी थी। बाद में उसकी मृत्यु हो गई।’ परिवार को याद है कि कैसे बेंगाजी से लगभग 1500 किमी दूर स्थित ट्यूनिस में भारतीय दूतावास के लिए शव की पहचान करना भी एक कठिन काम था। हाल ही में पहचान हुई और औपचारिकताएं पूरी की गईं जिससे टोनी की वापसी का रास्ता साफ हो गया।
इस बीच परेशान परिवार उस दिन को कोस रहा है जब उन्होंने अपने इकलौते बेटे की जिंदगी दुबई स्थित एजेंट के हाथों में सौंप दी थी। ‘कमल राणा वह एजेंट है जिसने उस भारतीय समूह के साथ सौदा किया था जिसे इटली में नौकरी देने का वादा किया गया था लेकिन समुद्री मार्ग से मिस्र भेजा गया और अंत में लीबियाई माफिया को बेच दिया गया।’ साहनी की टीम के सदस्य गुरदीप कहते हैं, ‘हमें पता चला है कि लीबिया में और भी भारतीय लड़के फंसे हो सकते हैं। हम इनमें से कम से कम एक के संपर्क में हैं जो बेंगाजी में है।’