...नज़ाकत आ ही जाती है
कहावत है—खुदा जब हुस्न देता है तो नज़ाकत आ ही जाती है। लेकिन जो खुदा की राह में समर्पित होते हैं उन्हें खुदा नज़ाकत भी देता है, नफ़ासत भी देता है और उनकी नवाज़िश भी करता है। खुदा उन्हें सदाक़त भी देता है। ऐसे में यह कहावत सक़ी यानी दानदाता के आगे झूठी साबित हो जाती है। जी हां दोस्तो, मैं बात कर रहा हूं कोटा में फर्नीचर व्यवसायी अल्हाज इलियास अंसारी की जिन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी से फर्नीचर का व्यवसाय खड़ा किया। आज जब खुदा ने उन्हें नवाज़ा है तो छोटी-सी रक़म को बड़े प्रबंधन के साथ क़रीब डेढ़ सौ बेवाओं, ज़रूरतमंदों को मदद कर उन्हें फायदा पहुंचा रहे हैं। इलियास अंसारी हर साल जब ज़कात निकालने के लिए कोई ज़रिया तलाशते तो कहीं न कहीं जब उन्हें खयानत नज़र आयी तो उन्होंने खुद इसका वितरण, प्रबंधन अपने परिवार के ज़रिये एक प्रबंधन बनाकर करना शुरू किया।
इलियास अंसारी ने क़रीब छह साल पहले से तैयार किए इस निज़ाम में पहले अपने पुराने मकान के आसपास की ज़रूरतमंद महिलाओं को तलाशा, उनकी तहक़ीक़ात की। इलियास अंसारी ने उनकी पत्नी और बच्चों को निर्देशित किया कि वे रजिस्टर में एंट्री के अनुसार हर माह के पहले रविवार को सभी सूचीबद्ध महिलाओं को किशोरपुरा साजिदेहड़ा स्थित उनके शो रूम कार्यालय पर बुलाकर रिकॉर्ड के अनुसार आवश्यकतानुसार मदद अदा करें। ऐसा ही किया गया। पूरी सूची तैयार की जाती है और हर साल क़रीब पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। इनके शो रूम कारखाने पर हर माह के पहले रविवार को ऐसी ज़रूरतमंद महिलाओं की क़तारें लगी होती हैं। उनकी सेवा-सुश्रुषा इनकी पत्नी-बच्चे करते नज़र आते हैं। महिलाएं इलियास अंसारी, इनके परिजनों को खुशहाली, लम्बी उम्रदराज़ी, व्यापार में तरक्क़ी की दुआएं देती नज़र आती हैं। ध्यान रखा जाता है कि आगंतुक महिलाओं को मदद तो समय पर मिल ही जाए, उनकी मेहमान नवाज़िश में भी कोई कसर नहीं रहना चाहिए।
प्रबंधन की इस व्यवस्था के अध्ययन के लिए समाजसेविका, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट भी मौके पर पहुंचीं और उन्होंने हर व्यवस्था को सराहा भी। खुदा ऐसे सकी दातार, ऐसे मददगार प्रबंधक के लिए दुआएं क़ुबूल करे। उन्हें दिन दूनी रात चौगुनी तरक्क़ी दे ताकि वह और ज़रूरतमंदों की मदद दिल खोलकर कर सकें। यह मदद का सिलसिला तो चलता ही रहे, साथ ही ऐसी ही प्रेरणा औरों को भी मिले। ऐसे नेक कार्यों को करने वालों की सलामती की दुआ हम सब करते हैं।
साभार : अख्तरखानअकेला डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम