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युवाओं का तंबाकू की गिरफ्त में आना चिंताजनक

08:32 AM Jul 07, 2023 IST
Bengaluru: Medical students carry a coffin with a cigarette model at an awareness programme to mark the World No Tobacco Day, in Bengaluru, Wednesday, May 31, 2023. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI05_31_2023_000080A)

ऋषभ मिश्रा

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भारत को युवाओं के संख्याबल के चलते संभावनाओं का देश कहा जाता है। यहां की कुल जनसंख्या में अकेले 22 प्रतिशत यानी लगभग 26.1 करोड़ की जनसंख्या सिर्फ 18 से 29 साल के युवाओं की है, जो कि पाकिस्तान की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। लेकिन तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों का इस्तेमाल भारत की संभावनाओं का गला घोंटता दिखाई पड़ रहा है। ‘ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे’ (गैट्स) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 26.7 करोड़ युवा, जिनकी उम्र 15 वर्ष और उससे अधिक है तथा पूरी युवा जनसंख्या का 29 प्रतिशत है, तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों के इस अंधाधुंध उपयोग ने भारत को विश्व में चीन (तीस करोड़) के बाद दूसरे सबसे बड़े तंबाकू उपभोक्ता देश की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी ‘डब्ल्यूएचओ’ के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर तंबाकू के सेवन से सालाना लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिसमें भारत में अकेले 13 लाख लोग इसका शिकार होते हैं। भारत में पुरुषों और महिलाओं में होने वाले कैंसर का क्रमशः आधा और एक-चौथाई कैंसर तंबाकू और इससे निर्मित पदार्थों के सेवन से होता है। अब तक के शोधों के मुताबिक तंबाकू में बेंजीन, निकोटीन, हाइड्रोजन साइनाइड, अल्डीहाइड, शीशा, आर्सेनिक, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जैसे 70 प्रकार के खतरनाक तत्व शामिल होते हैं, जिनका हमारे स्वास्थ्य पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भारत के राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण के आंकड़ों के अनुसार 2012-16 के बीच कैंसर के कुल मामलों में 27 प्रतिशत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तंबाकू से सम्बंधित थे।
तंबाकू शरीर के परिवहन तंत्र के संरक्षक हृदय को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां और दिल के दौरे की आशंका अधिक बढ़ जाती है। तंबाकू का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर भी बहुत घातक होता है। यह हमारी कल्पना-शक्ति मानसिक चेतना व स्थिरता को भी प्रभावित करता है, जिससे सुस्ती और पक्षाघात जैसी खतरनाक बीमारी के झटके भी आते हैं। तंबाकू से प्रभावित होने वाले शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में फेफड़ा भी शामिल है। तंबाकू का निरंतर उपयोग हमारे फेफड़ों की कार्यशैली को घटाता है। इससे फेफड़ों का कैंसर तथा ‘क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी’ बीमारी भी अधिक होती है। आधुनिक तकनीकी युग में ई-सिगरेट की मांग भी भविष्य में होने वाली एक गंभीर समस्या को इंगित करती है।
ई-सिगरेट मुख्य रूप से एक औजार है, जिसमें एक द्रव्य को एरोसोल बनाने के लिए गर्म किया जाता है। जिसे तंबाकू उपभोक्ता कश लगाने के लिए प्रयोग में लाते हैं। भले इस पर अभी शोध होने हैं और आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं, पर बच्चों द्वारा इसका प्रयोग उनमें हृदय और फेफड़ों की बीमारी को बढ़ावा देता है। तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों ने देश के कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को भी अपने चंगुल में फांस लिया है। मनाली, कसौल, शिमला, ऋषिकेश, हरिद्वार और बनारस जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर बड़ी आसानी से लोग तंबाकू का सेवन करते मिल जाएंगे। इनमें विदेशी यात्रियों का प्रतिशत अधिक है और यह हमारे यहां के कमजोर तंबाकू कानूनों के क्रियान्वयन का परिचायक है।
वैसे, भारत ने तंबाकू की भयावहता को बड़ी गंभीरता से लिया है और इसके लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं। भारत में तंबाकू नियंत्रण हेतु 2001 में तंबाकू नियंत्रण अधिनियम पारित किया गया था। फिर वर्ष 2003 में ‘सिगरेट एवं तंबाकू उत्पाद अधिनियम’ पारित किया गया। जिसे ‘कोटपा’ भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिषेध तथा इसके व्यापार, वाणिज्यिक उत्पादन और वितरण का विनियमन करना था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तंबाकू के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2003 में तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ रूपरेखा समझौता पारित किया। यह समझौता मुख्यतः तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार को समाप्त करने से संबंधित है। भारत इस समझौते में शामिल है तथा इसने 2016 में ग्रेटर नोएडा में इस प्रोटोकॉल में शामिल पक्षों का एक सम्मेलन कॉप-7 भी आयोजित किया था।
तंबाकू नियंत्रण के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह पहला सामूहिक स्वास्थ्य समझौता है, जिसके अंतर्गत तंबाकू और इससे संबंधित उत्पाद बनाने के लिए अनुज्ञप्ति यंत्र-समूह के लिए उचित उद्यम और सुरक्षा शामिल है। इस समझौते का अनुच्छेद-13 तंबाकू के प्रचार, अनुच्छेद-15 तंबाकू का अवैध व्यापार और अनुच्छेद-16 तंबाकू उत्पादों का अवयस्कों को और विक्रय से संबंधित है। वर्ष 2007-08 में 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भारत ने राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम भी चलाया, जिसका कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिला था।
तंबाकू के उपभोग से बचने तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2011 में सरकार के 2009 की अधिसूचना में संशोधन प्रस्तुत करते हुए नियम बनाया, जिसमें तंबाकू उत्पादों पर चार नए चेतावनी चित्रों को शामिल किया गया। आंकड़े बताते हैं कि भारत में उपभोग किये जाने वाले तंबाकू के 69 प्रतिशत हिस्से पर कर नहीं लगाया जाता। करों के माध्यम से तंबाकू की कालाबाजारी अवैध व्यापार और संवर्धन को नियंत्रित किया जा सकता है। तंबाकू प्रभाव निरोध हेतु सिविल सोसायटी की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।

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