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सरस्वती को नयी पीढ़ी के लिए संरक्षित करना हमारा दायित्व : केशनी आनंद

08:26 AM Sep 24, 2023 IST
सरस्वती को नयी पीढ़ी के लिए संरक्षित करना हमारा दायित्व   केशनी आनंद
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सरस्वती नदी उत्कृष्ट शोध केन्द्र तथा हरियाणा सरस्वती हेरीटेज विकास बोर्ड द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करती हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की चेयरपर्सन केशनी आनंद अरोड़ा। -हप्र
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कुरुक्षेत्र, 23 सितंबर (हप्र)
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की चेयरपर्सन केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि सरस्वती नदी के उत्थान के लिए जन-जागृति अभियान की जरूरत है, जिसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है।
सरस्वती विरासत को नई पीढ़ी के लिए संरक्षित करना हमारा नैतिक दायित्व है। वे शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सरस्वती नदी उत्कृष्ट शोध केन्द्र तथा हरियाणा सरस्वती हेरीटेज विकास बोर्ड द्वारा ‘सरस्वती नदी - सभ्यता का उद्गम स्थल - जल है तो कल है’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि वैदिक सभ्यता का विकास सरस्वती नदी के किनारों पर हुआ था। सरस्वती नदी आज लुप्त है, लेकिन यह नदी इस क्षेत्र के लिए हजारों वर्षों तक जीवनदायिनी रही है। उन्होंने हरियाणा में गिरते भूजल स्तर को देखते हुए कृषि के लिए भूजल का उपयोग कम करने तथा सतही जल का प्रयोग करने का भी आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा में जल संरक्षण के लिए संचालित योजनाओं को बारे में भी बताया। इससे पहले दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। सभी अतिथियों द्वारा सरस्वती नदी के उद्गम स्थलों को लेकर आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया गया।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2014 में सरस्वती को धरातल पर जीवित करने का आह्वान किया था, जिसके फलस्वरूप मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड का गठन कर सरस्वती को धरातल पर जीवंत करने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि सरस्वती ज्ञान की देवी है और इसी से ही वैदिक सभ्यता का विकास हुआ है। सरस्वती के जल की आवाज बद्रीनाथ से 5 किलोमीटर दूर माना गांव में सरस्वती पुल पर तीव्रता से सुनाई देती है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सरस्वती एक वास्तविकता है, जो कि आज भी जमीन के नीचे विद्यमान है।
उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी हमारी 5000 वर्ष पुरानी सरस्वती धरोहर का प्रतीक व सभ्यता का उद्गम स्थल है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरसी भारद्वाज ने कहा भारतीय समाज की पहचान वैदिक संकल्पना पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी भारतीय संस्कृति का गौरव है तथा वैदिक समाज के गौरवपूर्ण इतिहास में सरस्वती नदी की महत्ता को बताया गया है।
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार सरस्वती प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है, जो अकादमी स्तर को साथ लेकर सरस्वती के उत्थान के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रही है। इस अवसर पर सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी के संयोजक अरविन्द कौशिक ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन डॉ. सीडीएस कौशल ने किया।
संगोष्ठी में डॉ. एनपी सिंह, डॉ. जीजीत नादुपुरी, प्रो. नरेश नीलकंठ, राजेश पुरोहित, दीपक सिंघल, डॉ. एके गुप्ता, एस कल्याणरामा सहित विदेश से जुड़े विद्वत्जनों ने भी ऑनलाइन माध्यम से अपने वक्तव्य साझा किए।
इस मौके पर केयू छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शुचिस्मिता, डॉ. दीपक राय बब्बर सहित शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद थे।

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