For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

इंसान का डूबना, जानवर का उबरना नहीं ठीक

06:37 AM Dec 19, 2023 IST
इंसान का डूबना  जानवर का उबरना नहीं ठीक
Advertisement

आलोक पुराणिक

केंद्रीय शिक्षा बोर्ड सीबीएसई ने बोर्ड की परीक्षाओं की डेटशीट निकाल दी है। उधर इस आशय की खबरें आ रही हैं कि कोरोना वायरस जैसा नया वायरस फिर सिर उठा रहा है। खास तौर पर चीन में। वैसे कई छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गयी है कि फिर नया वायरस आ गया है और शायद एक्जाम भी आनलाइन हो जायें, घर पर बैठे या लेटे-लेटे ही एग्जाम देने का जुगाड़ हो जाये। कोरोना सबको परेशान नहीं करता, छात्र और कई कर्मचारी इसके स्वागत के लिए तैयार बैठे हैं। कई कर्मचारियों ने वर्क फ्रॉम होम को ऐश फ्राम में तब्दील कर दिया था।
कोरोना कई मामलों में उस पुरानी गर्लफ्रेंड की तरह है, जिससे ब्रेकअप हो गया, जिसे भूलना चाहते हैं, पर नहीं, लौट-फिरकर हालात वहीं ले जाकर उस गली में खड़ा कर देते हैं। जिसकी गली से जिसके घर से भागना चाह रहे हैं, उसी का सामना बार-बार हो रहा है।
कई कैमिस्ट भी यही बात याद करते दिख जाते हैं कि कमाल वक्त था, वो कोरोना का, मास्क, से लेकर हैंड सेनेटाइजर तक, इन सबकी बिक्री से कैसे नयी कार खरीद ली थी। कई नर्सिंग होम वाले याद करते हैं उन पुराने दिनों की, हाय कैसे एक आक्सीजन सिलेंडर के लाखों कमाते थे।
भारत में कई तरह की साइकिल यानी चक्र का मामला चलता है। चुनावी साइकिल यानी हर पांच साल में आ जाते हैं चुनाव, इसे चुनावी साइकिल कहते हैं। अब कोरोना भी साइकिल का मामला हो रहा है। हर तीन साल में या पांच साल में, यह साइकिल जब चलती है तब इंडस्ट्री बिजनेस सब में पंक्चर हो जाता है। फिल्म इंडस्ट्री पंक्चर हो जाती है, बंदे घर से फिल्म देखने नहीं जाते हैं। वैसे जैसी फिल्में इधर बन रही हैं, उन्हें देखकर लगता है कि पब्लिक उन्हें न देखती, तो मारकाट कम रहती। हाल में एक कामयाब सेना अधिकारी पर बनी फिल्म उतनी न चली, जितनी वह फिल्म चली, जिसका नाम है एनिमल। सेना अधिकारी न चल पा रहे हैं, एनिमल चल रहे हैं दनादन।
हालांकि, एनिमल इंडस्ट्री यानी कुत्तों, बिल्लियों को बेचने वालों का कारोबार कोरोना लाकडाउन के वक्त तेजी से बढ़ा। इंसान ढप्प हो रहा था, एनिमल इंडस्ट्री फल-फूल रही है। वक्त क्या-क्या दिखाता है। इंसान डूबता है, तो एनिमल उबर जाता है। बेहतर तो यह है कि इंसान भी उबरे और एनिमल भी। कोरोना के वक्त तो ऐसे-ऐसे जानवर उभरे हैं कि सोचकर भी डर लगता है कि एक आक्सीजन सिलेंडर के पांच लाख रुपये मांगने वाले जानवर कोरोना के वक्त में देखे गये। कोरोना काल में ऐसा-ऐसा जानवरपना देखा गया कि लोगों ने अपने सगे बाप का दाह-संस्कार करने से इनकार कर दिया।
आइये दुआ करें कि कोरोना की साइकिल परमानेंटली पंक्चर हो जाये।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×