For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

ठीक नहीं हर जगह लीक का सिलसिला

08:19 AM Aug 20, 2024 IST
ठीक नहीं हर जगह लीक का सिलसिला

आलोक पुराणिक

बारिश रुकने का नाम न ले रही कई जगह। लगता है कि बादल लीक हो रहे हैं, हालांकि लीक होने की परंपरा तमाम तरह के इम्तिहानों में देखी गयी थी।
नेट यानी प्रोफेसर बनाने वाली और स्कालरशिप की परीक्षा और नीट यानी मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा में पेपर लीक हो गये, ऐसी चर्चा थी।
झारखंड में भी नेताओं के लीक होने के समाचार हैं। चंपई सोरेन उधर की साइड थे, अब इधर की साइड आने के आसार हैं। नेता इधर से उधर बाद में जाता है, पहले अपने जाने की खबर लीक करता है इस भाव में कि हम रूठे हुए हैं, हमें मना लो टाइप्स। उन्हें कायदे से मना लिया जाता है, तो वह मान जाते हैं। सौदा नहीं पटता, तो राष्ट्र रहित और राज्य हित में वो पार्टी छोड़कर चले जाते हैं।
खैर, नेट के परचे लीक हो लिये, नीट वाले भी लीक हो लिये, सब लीक हो रहा है। बादल भी लीक हो लिये। लीक पेपर से पढ़कर बना डाक्टर बहुत ही खतरनाक हो सकता है। मरीज सामने पड़ा हो लीक वाले डाक्टर के, तो वह इलाज करने के बजाय तलाशेगा उस बंदे को जो आपरेशन के तौर-तरीके लीक करे, बता दे।
इधर मेरे टेंशन दूसरे हो गये हैं, पेपर लीक हो रहे हैं, ऐसा न हो कि कोई इन्हीं लीकबाजों को लाखों रुपये देकर हमारे डिफेंस सीक्रेट भी लीक करवा ले। मेरा निवेदन कि तमाम डिफेंस के दफ्तरों में फर्जी नक्शे वगैरह रखवा दिये जायें, ताकि अगर लीक हों, तो भी फर्जी डॉक्यूमेंट ही लीक हों। चंद्रयान का फर्जी नक्शा बनाकर रख दिया जाये, कोई उसे कापी करके बनाये, तो चाईनीज टाइप का चंद्रयान ही बने।
विपक्ष के नेता का आरोप है कि पीएम मोदी ने यूक्रेन की जंग रुकवा दी, पर पेपर लीक न रुकवा पा रहे हैं। पर इस बयान से पता लगता है कि हमारे भारत में ऐसे लीक-वीर हैं, जो बड़े-बड़े योद्धाओं पर भारी पड़ सकते हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत के ऐसे ही किसी लीक-वीर को ले जायें वह यूक्रेन का पूरा युद्ध प्लान ही लीक करके पुतिन को दे देंगे। युद्ध जल्दी खत्म हो जायेगा।
उधर एक खबर यह है कि एक प्रदेश में एक राजनीतिक पार्टी तमाम हारों से परेशान होकर अपने दफ्तर के वास्तु को बदलने पर उतरी है। पुराने वक्त में हार के बाद नेता बदले जाते थे, अब वास्तु बदला जाता है।
वास्तु के अलावा बाबाओं को भी बदलने का दौर चलता है। कोई बाबा कुछ कह गये थे, उनकी बात सही साबित न हुई। अब नये बाबा आ गये। बाबाओं और टीवी में यही फर्क है, बंदा टीवी ले और वह शर्तों के हिसाब से काम न करे, तो वह बंदा जाकर टीवी वाले से रकम वापस ले आता है। पर बाबा के मामले में यह न होता, कुछ वापस न मिलता, फिर बंदा नये बाबा की तलाश में निकल जाता है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
×