गंभीर विषयों को हल्के-फुल्के अंदाज में लिखना सहज नहीं
अरुण नैथानी/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 दिसंबर
आज के यांत्रिक होते जीवन के बीच स्वस्थ हास्य की उपस्थिति मानव जीवन को सरस व सहज बनाती है। किसी रचना की सार्थकता इस बात में है कि वह किस हद तक हमारे मन-मस्तिष्क को गुदगुदाती है। हमारे जीवन व्यवहार में धीर-गंभीर विषयों को हल्के-फुल्के अंदाज में लिख देना सहज नहीं है, लेकिन ऐसा कर पाना किसी रचनाकार की कामयाबी मानी जानी चाहिए।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में सादगी भरे समारोह में डॉ. चेतना वैष्णवी की चार पुस्तकों के विमोचन में विषय का परायण करते हुए एम.सी नेशनल यूनिवर्सिटी भोपाल के पूर्व कुलपति बी.के कुठियाला ने उक्त उद्गार व्यक्त किये। इस मौके पर डॉ. वैष्णवी की चार पुस्तकों लॉफ अवे युअर ब्ल्यूस्, ‘क्लाइडोस्कोप’, ‘द ऑकल्ट थंडरस्ट्रोम एंड अदर स्टोरीस्’ और ‘वट ए जोक’ का विमोचन किया गया। लेखिका की कृतियों का विवेचन करते हुए प्रो. कोठियाला ने रचनाओं में जीवन के गहरे अनुभवों व विषय की तार्किकता का उल्लेख किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी हरियाणा के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने पुस्तकों के विमोचन के बीच कहा कि चुनौतीपूर्ण समय में सारगर्भित सरल, सहज रचनाओं की उपादेयता बढ़ जाती है। उन्होंने डॉ वैष्णवी की रचनाधर्मिता के विभिन्न पहलुओं का विशद् विवेचन किया और उनके लेखन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर पंजाब यूनीवर्सिटी,चंडीगढ़ में डीन स्टूडेंटस् वेलफेयर प्रो. सिमरित काहलों ने पुस्तकों के कलेवर व प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि पुस्तक पाठकों के हाथ में पहुंचने पर यदि सुखद अहसास देती है तो यह रचनाकार की सफलता होती है। मोहक कलेवर व हमारे अहसासों को छूने वाली पुस्तकों को पाठक बार-बार पढ़ना चाहता है। इस मौके पर हरियाणा के पूर्व एडीजीपी व साहित्यकार राजबीर देसवाल ने डॉ. वैष्णवी के रचनाकर्म से जुड़े अपने तीन दशक के अनुभवों को साझा किया।