इंटरनेट सुविधा न होने से सर्वे इंस्पेक्शन करना असंभव
पंचकूला, 20 जनवरी (हप्र)
हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में 40 हजार किसानों के नौतोड़ जमीन के मालिकाना हक के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया था जिस पर जिला उपायुक्त पंचकूला ने 18 जनवरी को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की और उसकी एक प्रति याचिकाकर्ता विजय बंसल को उपलब्ध करवाई गई। बंसल की ओर से हाईकोर्ट में पेश हुए वकील सजल बंसल ने बताया कि मामले की सुनवाई 2 मई को होगी। डीसी पंचकूला सुशील सारवान द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि मोरनी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित 14 भोज और 172 बास की मसावियो का डिजिटाइजेशन और जियो रेफरेंसिंग का कार्य किया जा रहा है जिसको लेकर 160 बास का कार्य फील्ड स्टाफ द्वारा सर्वे ऑफ इंडिया के साथ पूरा किया गया है लेकिन धरातल पर यह पाया गया है कि ओवरलैपिंग है।
इसके साथ ही स्टेटस रिपोर्ट में मोबाइल नेटवर्क न होने और इंटरनेट सुविधा न होने का भी हवाला दिया गया है। इसके साथ ही बताया है कि इंटरनेट सुविधा न होने के चलते सर्वे इंस्पेक्शन आदि किया जाना असंभव है।
शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने बताया कि 2017 में किसानों को उनका हक दिलाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट को बताया गया कि लंबे समय से इस भूमि का मालिकाना हक देने की 40 हजार के करीब स्थानीय किसान मांग कर रहे हैं।
कोर्ट को बताया गया कि 59998 एकड़ भूमि अधिग्रहण का फैसला लिया गया था जिसके बाद कुल 50807 एकड़ भूमि का वनक्षेत्र
के लिए मुआवजा देकर अधिग्रहण किया गया। इसके बाद भूमि के मालिकाना हक पर विवाद हुआ था।
इस विवाद के निपटारे के लिए बीते कुछ समय में प्रयास शुरू हुए। पहले सर्वे ऑफ इंडिया की मदद से ड्रोन इमेज का सहारा लिया गया था जिस पर रिवेन्यू विभाग की आपत्ति थी।
अब लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग की मदद ली जा रही है और जल्द काम पूरा होगा। हाईकोर्ट ने अब इस मामले में तय प्रक्रिया पर सवाल उठा दिए हैं और अगस्त तक कानून के अनुरूप उठाए कदमों का ब्यौरा तलब किया था।