‘घरेलू हिंसा या उत्पीड़न में केवल पुरुष को दोषी मान लेना अधूरी सोच’
यमुनानगर,16 नवंबर (हप्र)
शहीद परमिंदर सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तेजली में ‘घरेलू हिंसा या उत्पीड़न में केवल पुरुष ही नहीं महिला व बच्चे भी दोषी हो सकते हैं’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्यातिथि व मुख्य वक्ता कृष्ण चंद्र शर्मा रिटायर्ड प्रिंसिपल रोहतक थेे। अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य मोहम्मद सलीम ने की तथा संयोजन रिटायर्ड प्राचार्य सतीश कौशिक ने किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता ने कहा कि समाज में घरेलू हिंसा व महिला उत्पीड़न दो अलग-अलग पहलू हैं। दोनों में केवल एकपक्षीय सोच के साथ पुरुष को दोषी मान लेना गलत ही नहीं अव्यवहारिक भी है। किसी भी पक्ष में विकार संभव है। केवल एक पक्ष पर दोषारोपण कर इतिश्री कर देना अधूरी सोच है या अधूरे कानून का परिचायक है। आज के परिवेश में पुरुषों को निरंतर शोषक एवं महिलाओं को शोषित दायरे में रखा गया है। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 महिलाओं को सुरक्षा देने को स्पष्ट कर दिया है लेकिन कहीं भी पुरुषों के साथ होने वाली घरेलू हिंसा के संदर्भ में चर्चा नहीं करता। देश में कोई पुरुष अपने विरुद्ध हो रहे घरेलू हिंसा के मामलों को आसानी से कहीं दर्ज करवा सके ऐसी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि अतः समय-समय पर परिवेश परिस्थितियों के अनुकूल कानून में संशोधन व नए कानून का निर्माण समाज उपयोगी होगा। इस अवसर पर रमेश प्रताप वत्स, पूनम कपिल, सरिता त्यागी, संजय, भावना, पूजा, हरबंस, सुरेंद्र कौर, रिचा कुमारी व जगदीश लाल आदि उपस्थित रहे।