ISRO's SpaDeX Mission: अंतरिक्ष में ISRO का चमत्कार, दो उपग्रहों का कराया महामिलन
बेंगलुरु, 16 जनवरी (भाषा)
ISRO's SpaDeX Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की सफल ‘डॉकिंग’ की।
इसरो ने इस उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा करते हुए कहा, “भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।”
Dr. V. Narayanan, Secretary DOS, Chairman Space Commission and Chairman ISRO, congratulated the team ISRO.#SPADEX #ISRO pic.twitter.com/WlPL8GRzNu
— ISRO (@isro) January 16, 2025
‘स्पेडेक्स’ मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। डॉकिंग प्रक्रिया में दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में जोड़ने का यह प्रयास पूरी तरह सफल रहा, जो न केवल तकनीकी विशेषज्ञता बल्कि भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।
SpaDeX Docking Update:
🌟Docking Success
Spacecraft docking successfully completed! A historic moment.
Let’s walk through the SpaDeX docking process:
Manoeuvre from 15m to 3m hold point completed. Docking initiated with precision, leading to successful spacecraft capture.…
— ISRO (@isro) January 16, 2025
इस मिशन का उद्देश्य भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों और अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण के लिए आवश्यक तकनीकों का परीक्षण करना है। यह उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में विशेषज्ञता हासिल करने वाले कुछ गिने-चुने देशों की श्रेणी में खड़ा करती है।
इससे पहले 12 जनवरी को इसरो ने उपग्रहों को ‘डॉक' करने के परीक्षण के तहत दो अंतरिक्ष यान को तीन मीटर की दूरी पर लाकर और फिर सुरक्षित दूरी पर वापस भेजा था। इसरो ने 30 दिसंबर, 2024 को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट' (स्पेडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक शुरू किया था।
दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) को 24 पेलोड के साथ ले जाने वाले पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले ‘लॉन्चपैड' से उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के करीब 15 मिनट बाद लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को लक्षित तरीके से 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।
इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग कर अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग' के लिए एक किफायती प्रौद्योगिकी मिशन है जिसे पीएसएलवी के जरिये लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग' तकनीक तब आवश्यक होती है जब सामान्य मिशन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपण की आवश्यकता होती है।
यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे चंद्रमा पर भारतीय मिशन, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए आवश्यक है। इस मिशन के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी रखने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी वैज्ञानिकों को बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को अंतरिक्ष में दो उपग्रहों की सफल डॉकिंग पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट' (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग' सफलतापूर्वक की।
यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना सहित भविष्य के कई मिशनों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और पूरी अंतरिक्ष बिरादरी को बधाई। यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।''
अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी घोषणा की कि ‘डॉकिंग' के बाद, एक वस्तु के रूप में दो उपग्रहों पर नियंत्रण स्थापित करने की प्रक्रिया भी सफल रही।