Israel Iran War: ईरान की चेतावनी, US ने परमाणु ठिकानों पर हमला कर शुरू किया खतरनाक युद्ध
दुबई, 22 जून (एपी)
Israel Iran War: ईरान के विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि अमेरिका ने इस्लामिक गणराज्य में तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर खुद ईरान के खिलाफ एक खतरनाक युद्ध की शुरुआत कर दी है। मंत्रालय ने रविवार सुबह जारी एक विस्तृत बयान में यह टिप्पणी की।
मंत्रालय ने कहा, "दुनिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका ने एक जारी कूटनीतिक प्रक्रिया के बीच इस्राइल जैसे नरसंहारकारी और कानूनविहीन शासन का समर्थन कर कूटनीति के साथ विश्वासघात किया है।"
बयान में कहा गया, "अब, यहूदी शासन द्वारा किए गए उल्लंघनों और अपराधों की श्रृंखला को पूरा करके अमेरिका ने स्वयं ईरान के खिलाफ एक खतरनाक युद्ध शुरू कर दिया है।"
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ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा,"ईरान को पूरा अधिकार है कि वह अमेरिकी सैन्य हमले और इस दुष्ट शासन द्वारा किए गए अपराधों का पूरी ताकत से मुकाबला करे और अपनी सुरक्षा और देश के हितों की रक्षा करे।"
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इससे पहले ईरान के शीर्ष अधिकारियों में विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस्फहान, फोर्दो और नतांज में किए गए अमेरिकी हमलों पर सबसे पहले प्रतिक्रिया दी थी। अराघची ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, “आज सुबह की घटनाएं बहुत ही भयानक हैं और इनके दूरगामी परिणाम होंगे।''
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर और आत्मरक्षा के लिए वैध कदम की अनुमति देने संबंधी इसके प्रावधानों के अनुरूप ईरान के पास अपनी संप्रभुता, हितों और लोगों की रक्षा के लिए सभी विकल्प मौजूद हैं।''
विभिन्न देशों ने किया मामले के कूटनीतिक समाधान का अनुरोध
वाशिंगटन, 22 जून (एपी) ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद इस्राइल-ईरान युद्ध के क्षेत्र में फैलने की आशंका के मद्देनजर रविवार को विभिन्न देशों ने कूटनीतिक समाधान तलाशने और संयम बरतने की अपील की। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह ईरान के खिलाफ युद्ध में इस्राइल का साथ देने के बारे में दो सप्ताह में फैसला लेंगे।
हालांकि उन्होंने महज दो दिन में फैसला कर लिया और अमेरिका ने इस्राइल के अभियान में शामिल होते हुए रविवार तड़के ईरान पर हमला कर दिया। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी हमलों से ईरान को कितना नुकसान पहुंचा है। इससे पहले ईरान ने कहा था कि अगर अमेरिका ने इस्राइल का साथ दिया तो वह जोरदार पलटवार करेगा।
अमेरिका के हमलों के बाद विभिन्न देशों और संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के बम हमलों से बेहद चिंतित हैं। गुतारेस ने एक बयान में कहा, ‘‘इस बात का जोखिम है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।''
उन्होंने ‘एक्स' पर लिखा,‘‘मैं सदस्य देशों से तनाव कम कराने की अपील करता हूं। इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है। कूटनीति ही कोई हल निकाल सकती है।'' न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने रविवार को“सभी पक्षों से वार्ता की ओर लौटने" का आग्रह किया। उन्होंने संवाददाताओं को यह नहीं बताया कि न्यूजीलैंड राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई का समर्थन करता है या नहीं। उन्होंने कहा कि यह संकट, ‘‘ अब तक का सबसे गंभीर संकट है और इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।''
उन्होंने कहा, “कूटनीति सैन्य कार्रवाई की तुलना में अधिक स्थायी समाधान प्रदान करेगी।” चीन के सरकारी मीडिया ने सवाल किया कि क्या अमेरिका ईरान में वही गलती दोहरा रहा है, जो उसने इराक में की थी। चीन के सरकारी प्रसारक की विदेशी भाषा शाखा ‘सीजीटीएन' के ऑनलाइन लेख में कहा गया है कि अमेरिकी हमले एक खतरनाक मोड़ को दर्शाते हैं।
लेख में 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण का हवाला देते हुए कहा गया है, “इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप के अक्सर अनपेक्षित परिणाम होते हैं, जिसमें लंबे समय तक संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता जारी रहना शामिल है।”
लेख में कहा गया है कि सैन्य टकराव के बजाय वार्ता को प्राथमिकता देने वाला एक संतुलित कूटनीतिक दृष्टिकोण पश्चिम एशिया में स्थिरता की सबसे अच्छी उम्मीदें पैदा कर सकता है। जापान के एनएचके टेलीविजन के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा रविवार दोपहर को ईरानी परमाणु केन्द्रों पर अमेरिकी हमले के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए प्रमुख मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि वह रविवार को एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा, जिसमें अमेरिकी हमलों के सुरक्षा व आर्थिक परिणामों और दक्षिण कोरिया की संभावित प्रतिक्रिया पर चर्चा की जाएगी। शुक्रवार को तेहरान में अपने दूतावास को बंद करने और कर्मचारियों को वापस लाने वाले ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर संघर्ष को कूटनीतिक रूप से समाप्त करने पर जोर दिया है।
एक सरकारी अधिकारी ने लिखित बयान में कहा, “हम स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए खतरा रहा है। हम अमेरिकी राष्ट्रपति का समर्थन करते हैं कि अब शांति का समय आ गया है।” बयान में कहा गया है, “क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति अत्यधिक अस्थिर है। हम एक बार फिर तनाव कम करने, संवाद व कूटनीति का आह्वान करते हैं।”